नई दिल्लीः दिल्ली उच्च न्यायालय ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से निष्कासित नेता कुलदीप सेंगर को चिकित्सा आधार पर मंगलवार को 10 दिनों की अंतरिम जमानत दे दी। सेंगर को उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत मामले में 10 साल कारावास की सजा हुई है। न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी ने सेंगर की याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार कर लिया और उसकी सजा को फिलहाल निलंबित कर दिया।
कोर्ट ने इस तथ्य पर भी संज्ञान लिया कि सेंगर को दुष्कर्म के मामले में भी उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने भी इसी तरह की राहत दी थी। अदालत को सूचित किया गया कि सेंगर ने चिकित्सा आधार पर सजा पर अंतरिम निलंबन के लिए खंडपीठ से गुहार लगाई थी। खंडपीठ ने पांच दिसंबर को सजा को 20 दिसंबर तक अंतरिम रूप से निलंबित रखने का निर्देश दिया था। न्यायमूर्ति ओहरी ने खंडपीठ के आदेश के अभिप्राय पर विचार करते हुए कहा, ‘‘ याचिका आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है और अपीलकर्ता को 50,000 रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की जमानत पर 20 दिसंबर तक अंतरिम जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया जाता है।
एकल पीठ ने फैसले में कहा कि जमानत की वहीं शर्तें होंगी जो खंडपीठ ने सेंगर पर लगाई थीं। खंडपीठ ने पहले कहा था कि अपीलकर्ता को उसकी चिकित्सा स्थिति की व्यापक समीक्षा के लिए रिहाई के अगले दिन अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली में भर्ती कराया जाना चाहिए। सेंगर ने चिकित्सा आधार पर पांच महीने तक सजा को अंतरिम तौर पर निलंबित करने का अनुरोध किया था।
सेंगर के वकील ने दलील दी कि सुनवाई अदालत द्वारा दोषसिद्धि और सजा के आदेश को चुनौती देने वाली उनके मुवक्किल की अपील लंबित है और वह पिछले आठ वर्षों से जेल में है, जबकि इस मामले में उसे अधिकतम 10 वर्ष की सजा दी गई थी। सेंगर को नाबालिग लड़की से दुष्कर्म करने का दोषी ठहराया गया तथा उस मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। उसने इस फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी है और फिलहाल मामला लंबित है।
अदालत ने दुष्कर्म पीड़िता के पिता की मौत मामले में सेंगर के भाई अतुल सिंह सेंगर और पांच अन्य लोगों को 10-10 साल कारावास की सजा सुनाई है। प्राथमिकी के मुताबिक पीड़िता के पिता को सेंगर के कथित इशारे पर शस्त्र अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था और पुलिस की बर्बरता के कारण नौ अप्रैल, 2018 को हिरासत में उसकी मौत हो गई थी।