पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव के दौरान भीषण हिंसा में 12 लोगों की मौत

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कोलकाता : पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव के दौरान शनिवार को भीषण हिंसा में 12 लोगों की मौत हो गई । मुर्शिदाबाद में सबसे अधिक चार मौतें हुई हैं। इसके बाद मालदा तथा पूर्वी बर्दवान जिलों में दो-दो और नादिया, दक्षिण 24 परगना, उत्तरी दिनाजपुर और कूच बिहार जिलों में एक-एक लोगों की मौत हुई है। गत 8 जून को मतदान की तारीखों की घोषणा के बाद से मरने वालों की कुल संख्या बढ़कर 31 हो गई है, जिसमें शुक्रवार शाम तक 19 और शनिवार सुबह से 12 मौतें दर्ज की गईं।

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने शनिवार को राज्य में चल रहे पंचायत चुनावों के बीच व्यापक हिंसा की निंदा करते हुए कहा कि ये घटनाएं लोकतांत्रिक व्यवस्था पर एक धब्बा हैं।शनिवार सुबह मतदान शुरू होने के साथ ही राज्यपाल ने विभिन्न हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा किया। उत्तर 24 परगना जिले के कदम्‍बगाछी में मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा, “सुबह से मुझे झड़पों और हिंसा की कई घटनाओं की सूचना मिली है। गोलीबारी और खून-खराबा हुआ है।

राज्‍य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने शनिवार दोपहर सीधे राज्य चुनाव आयुक्त राजीव सिन्हा को फोन किया और उनसे पूछा कि “और कितना खून उनकी प्यास बुझाएगा”। शुभेंदु ने सिन्हा को शाम छह बजे के बाद राज्य चुनाव आयोग की ओर मार्च करने की भी धमकी दी। शनिवार को आधिकारिक तौर पर मतदान का समय समाप्त हो जाएगा। उन्होंने दक्षिण कोलकाता के कालीघाट स्थित मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आवास तक मार्च निकालने की भी धमकी दी। उन्‍होंने कहा, “हमें कालीघाट के उस घर से हर ईंट बाहर निकालने की ज़रूरत है। चाहे कुछ भी हो, मैं ममता बनर्जी के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखने और उन्हें उनके सिंहासन से नीचे लाने के लिए प्रतिबद्ध हूं।”

तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष का कहना है कि चुनिंदा इलाकों में हिंसा की कुछ छिटपुट घटनाओं को छोड़कर मतदान प्रक्रिया कमोबेश शांतिपूर्ण रही। घोष ने शनिवार दोपहर को कहा, “मणिपुर में जो हो रहा है उसकी तुलना में हिंसा कुछ भी नहीं है। और जैसा कि आप पूरे चुनाव के दौरान हताहतों की संख्या में देख सकते हैं, पीड़ितों की अधिकतम संख्या तृणमूल कांग्रेस से थी।”

इस बीच, कांग्रेस नेता और कलकत्ता उच्च न्यायालय के वकील कौस्‍तव बागची ने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टी.एस. शिवगणन को एक पत्र लिखकर पंचायत चुनाव हिंसा का स्वत: संज्ञान लेने और इस तरह चुनाव को “अमान्य और शून्य” घोषित करने का अनुरोध किया। माकपा ने भी अलग याचिका दायर कर न्यायमूर्ति शिवगणनम से राज्य चुनाव आयुक्त से जवाब मांगने की मांग की है कि इस अदालत के आदेशों को प्राथमिकता क्यों नहीं दी गई है। माकपा नेतृत्व ने घोषणा की है कि सोमवार को कलकत्ता हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की जाएगी।

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