नई दिल्ली: हाथरस कांड मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है। इस कांड में 121 लोगों की मौत हो गई, जिसका हिसाब किताब आज सुप्रीम कोर्ट में लिया जाएगा। इससे पहले SIT ने इस मामले में जांच की अपनी रिपोर्ट योगी सरकार को सौंप चुकी है।
जिसमें मुख्यतौर पर आयोजक और पुलिस की लापरवाही बताई गई। हालांकि इस रिपोर्ट में कथा कर रहे नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा पर कोई आरोप नहीं लगाया गया है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने इस मामले को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया था।
एसआईटी की रिपोर्ट
एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर योगी सरकार ने एक्शन लेते हुए एसडीएम, सीओ और तहसीलदार समेत कुल 6 लोगों को सस्पेंड कर दिया था। रिपोर्ट में कहा गया कि आयोजकों ने बिना पुलिस के वेरिफिकेशन के लोगों को आमंत्रित किया। अनुमान से अधिक लोग सत्संग सुनने पहुंचे। जिसकी वजह से इतनी बड़ी घटना घटी। घटना में मारे गए लोगों में सबसे ज्यादा बच्चे और महिलाएं थी। अब इस मामले की जांच रिटायर्ड आईपीएस भवेश कुमार सिंह, रिटायर्ड आईपीएस हेमंत राव और रिटायर्ड न्यायाधीश बृजेश कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में एक न्यायिक आयोग द्वारा भी की जा रही है।
जहरीले पदार्थ के छिड़काव का दावा
SIT रिपोर्ट को लेकर उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि इस मामले में साजिश समेत हर एक पहलू पर जांच की जाएगी। हालांकि एडीजी कुलश्रेष्ठ ने इस भगदड़ में किसी भी तरह की साजिश की पहलू से इनकार किया था। उन्होंने इस घटना के लिए आयोजकों की गैर जिम्मेदाराना व्यवहार बताया था। इस भीड़ की अनुमानित संख्या लगभग ढ़ाई लाख बताई जा रही है। हालांकि 6 जुलाई को नारायण साकार हरि के वकील एपी सिंह द्वारा यह दावा किया गया था कि कुछ अज्ञात लोगों द्वारा सभा में जहरीले पदार्थ का छिड़काव किया गया। जिसकी वजह से भीड़ अनियंत्रित हो गई।
इस मामले में अबतक सत्संग का आयोजक और भोले बाबा का नजदीकी देवप्रकाश मधुकर समेत 9 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। वहीं सत्संग करने वाले भोले बाबा के नाम पर अभी कोई एफआईआर दर्ज नहीं किया गया है। हालांकि उनके करतूतों को लेकर कई चिट्ठियां खुलनी शुरू हो गई है। भोले बाबा पर आरोप लगाया जा रहा है कि वो केवल कुवांरी लड़कियों को शिष्य बनाता था। उन्हें विशेष दीक्षा दी जाती थी, हालांकि शादीशुदा महिलाएं केवल बाबा के दर्शन ही कर पाती थीं।