लखनऊ: भाजपा की मिशन-2024 की तैयारियों के केंद्र में यूपी है। सबसे बड़े सूबे में पार्टी पुराना प्रदर्शन दोहराने के साथ ही वोट शेयर बढ़ाना चाहती है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा रविवार को घोषित 13 राज्यपालों की सूची भी इसी ओर इशारा करती है। इस सूची में यूपी से पूर्व केंद्रीय मंत्री शिवप्रताप शुक्ल, भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष और विधान परिषद सदस्य लक्ष्मण आचार्य के अलावा फागू चौहान का नाम शामिल है। तीनों ही चेहरे पूर्वांचल से आते हैं। इसे पूर्वांचल के ब्राह्मण, पिछड़ों और दलितों को साधने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।
यूपी के सियासी रसूख का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि भाजपा ने लोकसभा चुनाव से करीब सवा साल पहले ही गोटियां सेट करनी शुरू कर दी हैं। सरकार और संगठन दोनों स्तर पर यह कवायद हो रही है। जेपी नड्डा ने डेढ़ साल का कार्यकाल बढ़ते ही चुनावी अभियान का श्रीगणेश पूर्वांचल के गाजीपुर से किया। वहीं, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी यूपी को मथने में जुटे हैं। अब जिन राज्यों में राज्यपाल या एलजी बदले अथवा नये बनाए गए हैं, उनमें से कई चुनावी राज्य हैं।
संकेतों की सियासत
यूं तो राज्यपाल गैर राजनैतिक पद है, लेकिन पार्टियां चेहरों के जरिए राजनैतिक संदेश देती रही हैं। कुछ ऐसा ही भाजपा ने भी किया है। गोरखपुर निवासी शिवप्रताप शुक्ल का राज्यसभा का कार्यकाल खत्म हुआ तो माना जा रहा था कि पार्टी उन्हें रिपीट करेगी। मगर ऐसा नहीं हुआ। अब उन्हें हिमाचल प्रदेश का राज्यपाल बनाकर पार्टी ने एक तीर से दो निशाने साधने का प्रयास किया है।
दरअसल, हिमाचल में हालिया चुनावों में भाजपा इस सूबे को बचाने में सफल नहीं हो सकी। ऐसे में वहां शिवप्रताप के रूप में एक अनुभवी, भरोसेमंद और तेजतर्रार नेता को भेजा गया है। दूसरी ओर पूर्वांचल के ब्राह्मणों को भी उनके जरिए संदेश देने का प्रयास किया गया है।