नई दिल्ली. इनकम टैक्स रिटर्न भरने का समय अब नजदीक आ रहा है. ऐसे में करदाताओं के मन में सवाल होगा कि उन्हें कौन सी टैक्स प्रणाली का चयन करना चाहिए. एक तरफ पुरानी टैक्स प्रणाली में जहां कई तरह की छूट का प्रावधान है. वहीं, दूसरी नई टैक्स प्रणाली में 7 लाख रुपये तक कोई टैक्स ही नहीं देना है. इसके अलावा भी कुछ फायदे नई टैक्स रिजीम में देखने को मिलेंगे.
आज हम आपको नई टैक्स प्रणाली के 4 फायदे बताने जा रहे हैं जिसके बारे में कई लोगों को जानकारी नहीं होगी. टैक्स रिटर्न भरने से पहले आप इन बातों को ध्यान में रखते हुए किसी एक टैक्स रिजीम का चुनाव कर सकते हैं. तो आइए नई टैक्स रिजीम के चार बड़े बदलावों के बारे में जानते हैं.
सरकार चाहती है कि अधिक-से-अधिक लोग नई टैक्स रिजीम में शिफ्ट कर जाएं. इसलिए नई टैक्स रिजीम में टैक्स स्लैब में भी बदलाव किए गए हैं. नई रिजीम में 6 टैक्स स्लैब हैं. इसमें 3 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं देना है. इसके बाद हर 3 लाख रुपये की बढ़ोतरी पर 5 फीसदी टैक्स बढ़ जा रहा है.
नई टैक्स रिजीम में बेसिक एग्जंप्शन लिमिट को बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर दिया है. यह पहले 2.50 लाख रुपये था. यानी 3 लाख रुपये तक कमाने वाले लोगों को टैक्स देने की चिंता से मुक्ती मिल गई है. पुरानी टैक्स रिजीम में यह छूट केवल 2.50 लाख रुपये तक ही है.
पहले स्टैंडर्ड डिडक्शन केवल पुरानी टैक्स रिजीम वाले लोगों को ही मिल रहा था. अब इसका फायदा नई टैक्स प्रणाली चुनने वालों को भी मिलेगा. करदाताओं को 50,000 का स्टैंडर्ड डिडक्शन मिलेगा. इसका मतलब यह है कि 3 लाख से अलग और 50,000 रुपये तक की छूट बगैर किसी दस्तावेज के दे दी जाएगी. पेंशनभोगी भी 15,000 रुपये तक के स्टैंडर्ड डिडक्शन का दावा कर सकते हैं.
तो नई टैक्स रिजीम में 3 लाख तक की आय को टैक्स स्लैब के बाहर कर दिया गया है लेकिन अगर किसी व्यक्ति आय 7 लाख रुपये तक नहीं पहुंच रही है तो भी उसे कोई टैक्स नहीं देना होगा. इतना ही नहीं अगर स्टैंडर्ड डिडक्शन को भी जोड़ दिया जाए तो 7.50 लाख रुपये तक की आय टैक्स मुक्त कर दी गई है. हालांकि, इससे अधिक आय होने पर टैक्स स्लैब के अनुसार ही कर देना होगा. मसलन, 7.5 लाख रुपये तक कोई टैक्स नहीं लेकिन 7.5 लाख के बाद टैक्स की गणना 3 लाख के बाद वाले स्लैब से शुरू हो जाएगी.