नई दिल्ली: चाहे घरेलू महिला हो या फिर करियर के प्रति सजग एक कामकाजी महिला, एक समय के बाद हर स्त्री की चाह अपनी एक छोटी सी दुनिया बसाने की होती है. वो चाहती है उसका पति हो और बच्चे हों और भरापूरा परिवार हो, जिसके साथ वो क्वालिटी टाइम बिता सके लेकिन एक देश ऐसा भी है जहां महिलाएं इस तरह की सोच नहीं रखती हैं. उनकी परिवार को आगे बढ़ाने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं हैं. हम बात कर रहे हैं जापान की. प्रतिष्ठित बिजनेस अखबार द निक्केई की रिपोर्ट के अनुसार लगभग 42 प्रतिशत वयस्क जापानी महिलाएं अपने जीवनकाल में कभी बच्चे पैदा नहीं करेंगी.
अगर ऐसा होता है तो जापान सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम के भविष्य के लिए बड़ा खतरा है. जापान के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पॉपुलेशन एंड सोशल सिक्योरिटी रिसर्च का अनुमान है कि वर्ष 2005 में पैदा हुई 33.4 प्रतिशत महिलाओं को मध्यम परिदृश्य में बच्चा पैदा नहीं करेंगी. यहां तक कि हम बहुत ज्यादा उम्मीद करें तो भी यह दर केवल 24.6 प्रतिशत होगी. निक्केई की रिसर्च में कहा गया पुरुषों को महिलाओं की तुलना में शादी न करने की अधिक संभावना का सामना करना पड़ता है. साथ ही 18 साल के आधे से अधिक बच्चों के कभी बच्चे न होने की संभावना होती है.
अमेरिका और यूरोप जैसी विकसित देशों में भी इसी तरह के रुझान देखे जा रहे हैं. आने वाले समय में इनके बढ़ने की संभावना है. यहां लोग बच्चे पैदा करने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं ले रहे. इससे ज्यादा उनकी कोशिश खुद की संतुष्टि की ओर ध्यान देने की है. रिपोर्ट में कहा गया कि पश्चिमी देशों में, साल 1970 में जन्मी लगभग 10 से 20 प्रतिशत महिलाओं के कभी बच्चे नहीं हुए, जबकि, जापान में, 27 प्रतिशत के साथ यह आंकड़ा थोड़ा अधिक है.
इंग्लैंड और जर्मनी जैसे देशों में यह प्रवृत्ति थोड़ी कम हो गई है, जहां काम और निजी जीवन के बीच संतुलन बनाने के लिए सरकार के स्तर पर उपाय किए जा रहे हैं. युवाओं को प्रेरित किया जा रहा है कि वो कम से कम एक बच्चा जरूर पैदा करें. जापान भी भविष्य में बनने वाले माता-पिता के लिए अधिक उपयुक्त परिस्थितियां बनाने के लिए ऑफिस में काम करने के तौर-तरीकों में सुधार कर रहा है. भविष्य के बारे में अनिश्चितताएं और नियमित वेतन जैसे कारणों ने युवाओं के शादी करने के फैसले को भी प्रभावित किया है.