रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने हजारीबाग जिले में फॉरेस्ट की 450 एकड़ जमीन को रैयती जमीन बनाकर बेचे जाने के मामले की नए सिरे से जांच कराने का निर्देश दिया है। चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने बुधवार को एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए पूछा कि आखिर जंगल की जमीन कैसे बेच दी गई? इस पूरे मामले का खुलासा जरूरी है।
यह याचिका शिव शंकर शर्मा ने दाखिल की है। प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने कोर्ट को बताया कि हजारीबाग में 450 एकड़ की जंगल की जमीन को रैयती जमीन बनाकर 2008 लोगों ने खरीद बिक्री की। वन विभाग की ओर से इस वन भूमि को लेकर नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट दिया गया था। वन विभाग के वरीय अधिकारियों की मिलीभगत से जंगल की जमीन को बेचने का काम हुआ है। पूर्व में इस मामले में एक जांच कराई गई थी। इसमें क्लास तीन और चार के 3 कर्मियों के खिलाफ सिर्फ प्रपत्र इश्यू किया गया था। इसके अलावा किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं हुई। प्रार्थी का कहना है कि जंगल की जमीन कैसे बेच दी गई, इसकी जांच जरूरी है।
इसपर हाई कोर्ट ने राज्य के वन एवं पर्यावरण विभाग के प्रधान सचिव को मामले में फ्रेश इंक्वायरी कर जांच रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया है। खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 10 मई निर्धारित की है।