देश में नोटबंदी की अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर शुक्रवार को संविधान पीठ के सामने सुनवाई हुई। जस्टिस एसए नजीर की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने संकेत दिया कि पुराने नोटों को बदलने के लिए एक व्यवस्था बनाने पर विचार किया जाएगा। हालांकि, कुछ विशेष मामलों में ही अनुमति दी जाएगी। संविधान पीठ इस मामले में 5 दिसंबर को सुनवाई जारी रखेगी।
इन याचिकाओं में नोटबंदी की 8 नवंबर 2016 की अधिसूचना को अवैध बताते हुए चुनौती दी गई है। केंद्र सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल वेंकटरमणि ने कहा कि कोर्ट इस तरह का आदेश नहीं दे सकता। नोटबंदी के बाद नोट बदले जाने के लिए विंडो को काफी आगे बढ़ाया गया था लेकिन लोगों ने इसका फायदा नहीं उठाया। उन्होंने कहा कि कुछ विशेष मामलों में सरकार नोट बदले जाने के बारे में विचार कर सकती है।
शीर्ष अदालत में सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल ने नोटंबदी की अधिसूचना का बचाव किया। उन्होंने कहा कि यह जाली नोट की समस्या और आतंकवाद की फंडिंग रोकने के लिए उठाया गया कदम था।
नोटबंदी रिजर्व बैंक कानून, 1934 के प्रावधानों के तहत की गई थी। इसमें कोई कानूनी दिक्कत नहीं है। इन याचिकाओं पर अब विचार करना शैक्षणिक कवायद है जिसका अब कोई मतलब नहीं है।
हम एक तंत्र बनाने पर विचार करेंगे, जिसमें विशेष मामलों में पुराने 500 और 1000 रुपये के नोटों को बदलने के विकल्प देखेंगे। रिजर्व बैंक यह 2017 के कानून की धारा 4(2)(3) के तहत कर सकता है।
1. मेरे पास एक करोड़ रुपये से ज्यादा के पुराने नोट हैं। कोर्ट ने कहा, आप इन्हें संभाल कर रखिये।
2. मेरी जब्त की गई लाखों रुपये की रकम अदालत में जमा है, लेकिन नोटबंदी के बाद वह बेकार हो गई।
3. हम विदेश में थे। विंडो मार्च से पहले बंद हो चुकी थी। कहा गया था कि मार्च के अंत तक खुली रहेगी।