नई दिल्ली : देश में 91 फीसदी इंजेक्शन का इस्तेमाल नशीली दवाओं को लेने में किया जाता है, जिसकी वजह से लगभग हर दूसरा व्यक्ति हेपेटाइटिस सी से संक्रमित हो रहा है। एचआईवी की तुलना में हेपेटाइटिस सी संक्रमण के मामले कई गुना अधिक हैं। नशीली दवाएं लेने वाले न तो कभी जांच कराते हैं और न ही समय पर इलाज लेते हैं। इसका सबसे बड़ा जोखिम समाज के उन लोगों को है जो नशे से दूर हैं।
दिल्ली एम्स और बंगलूरू स्थित निम्हांस के अध्ययन में सामने आया है कि इलाज न लेने की वजह से हेपेटाइटिस सी का संक्रमण लंबे समय तक रहता है। ये लोग यौन संबंधों के जरिये दूसरों को संक्रमित कर सकते हैं। इतना ही नहीं, हेपेटाइटिस सी संक्रमण से मुक्ति पाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कार्यक्रम चलाया जा रहा है, लेकिन इंजेक्शन से नशीली दवाओं लेने वालों में यह संक्रमण बुजुर्गों से युवाओं में प्रसारित हो रहा है।
इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में प्रकाशित इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने एक जनवरी 2016 से एक जनवरी 2021 के बीच करीब 2,600 से ज्यादा लोगों का पंजीयन किया, लेकिन सभी चिकित्सा दस्तावेज की जांच के बाद 391 लोगों पर अध्ययन आगे जारी रखने का निर्णय लिया गया। विश्लेषण के दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि 220 (56.26 फीसदी) लोगों में हेपेटाइटिस सी वायरस की एंटीबॉडी मौजूद थी, जबकि 109 यानी 27.87 फीसदी हेपेटाइटिस सी से संक्रमित पाए गए।
शोधकर्ताओं के मुताबिक, इंजेक्शन से नशा करने की लत तेजी से बढ़ रही है। कुछ समय पहले तक देश के उत्तरी और उत्तर पूर्वी राज्यों में यह लत सबसे अधिक प्रचलित थी, लेकिन हाल ही में इंजेक्शन के असुरक्षित उपयोग से विभिन्न बीमारियों की चपेट में आने वाले मरीजों की संख्या सभी राज्यों में बढ़ी है।