कैराना में किसान महापंचायत के बाद अब महाराष्ट्र-तमिलनाडु में किसानों की बैठक

0 339

 

रविवार को यूपी के कैराना में किसान महापंचायत (Kisan Mahapanchayat in Kairana) हुई जिसमें राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने भी हिस्सा लिया. टिकैत ने यहां कहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच जो विभाजन था, किसान आंदोलन के चलते वह अब काफी हद तक पट गया है. टिकैत ने कहा कि यह एक तरह से पैदा किया हुआ विभाजन था. भारतीय किसान यूनियन ने दोनों समुदायों के बीच एकता के लिए एक मंच प्रदान किया है. कैरान के बाद महाराष्ट्र-तमिलनाडु में किसानों की बैठक पर टिकैत ने कहा कि जहां भी लोग हमें बुलाते हैं और जरूरत होती है वहां हम बैठकें आयोजित करते हैं. अब किसान एक हो गए हैं और इन बैठकों का सिलसिला ऐसे ही जारी रहेगा.

टिकैत ने कहा कि हम 19 दिसंबर को महाराष्ट्र के वर्धा और 17 दिसंबर को तमिलनाडु जा रहे हैं. बता दें कि कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने और केंद्र सरकार की ओर से किसानों की अन्य मांग माने जाने के बाद आंदोलन को स्थगति कर दिया गया था. इस दौरान किसान नेताओं ने कहा था कि संयुक्त किसान मोर्चा बरकरार रहेगा. किसान नेताओं ने कहा था कि किसानों के मुद्दे पर आंदोलन जारी रहेगा. आंदोलन स्थगित कर दिया गया है. ऐसे में तय तारीख यानी 11 दिसंबर से किसान दिल्ली-हरियाणा के बॉर्डरों पर धरना स्थल से अपने घर के लिए लौट रहे हैं. इस दौरान आज यानी रविवार को कैराना पानीपत बाईपास के पास भारतीय किसान यूनियन ने एक ‘धन्यवाद किसान महापंचायत’ का आयोजन किया था. वहीं, नेता राकेश टिकैत ने शनिवार को कहा था कि किसान 15 दिसंबर तक दिल्ली सीमा पर अपना आंदोलन स्थल पूरी तरह से खाली कर देंगे.

किसानों के घर लौटने के क्रम में शनिवार को फूलों से लदी ट्रैक्टर ट्रॉलियों के काफिले विजय गीत बजाते हुए सिंघु धरना स्थल से बाहर निकले. सिंघु बॉर्डर छोड़ने से पहले कुछ किसानों ने हवन किया, तो कुछ ने अरदास और ईश्वर को धन्यवाद करके पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश स्थित अपने-अपने घरों की ओर रवाना हुए. टिकैट ने बताया कि किसानों का पहला समूह शनिवार को उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के लिए रवाना हो गया. उन्होंने कहा कि रविवार को गाजीपुर बॉर्डर का एक बड़ा हिस्सा खाली कर दिया जाएगा, हालांकि इसे पूरी तरह से 15 दिसंबर तक खाली किया जाएगा. टिकैत ने कहा था कि वे सभी किसानों को भेजकर घर लौटेंगे.

गौरतलब है कि तीन कृषि कानून को वापस लिए जाने के एलान और केंद्र सरकार की तरफ से मिले नए प्रस्ताव पर बनी सहमति के बाद किसान संगठनों की तरफ से गुरुवार को आंदोलन स्थगित कर दिया था. पिछले एक साल से ज्यादा समय से दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर किसान आंदोलन कर रहे थे. शनिवार से किसानों का धरना स्थल से घर लौटना शुरू हो गया है.

राकेश टिकैत ने किसी राजनीतिक पार्टी का नाम लिए बगैर कहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हिंदू-मुस्लिम बंटवारे से जिन्हें फायदा होता था, अब इस बार नहीं होगा. राजनीति में उतरने की अटकलों को लेकर राकेश टिकैत ने स्पष्ट किया कि BKU राजनीतिक पार्टी में तब्दील नहीं होगी और न ही किसी राजनीतिक दल का समर्थन करेगी.

आगामी यूपी विधानसभा चुनाव में योगी सरकार के विरोध के सवाल पर राकेश टिकैत ने कहा कि चुनाव अचार संहिता लगने दो, किसानों को घर पहुंच जाने दो, उसके बाद तय करेंगे कि क्या करना है. बीकेयू प्रवक्ता से जब पत्रकारों ने पूछा कि आपकी नाराजगी तो कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार से थी. अब तो सरकार ने तीनों कानून वापस ले लिए हैं? इसके जवाब में राकेश टिकैत ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार भी अपना काम करे.

नोट: अगर आपको यह खबर पसंद आई तो इसे शेयर करना न भूलें, देश-विदेश से जुड़ी ताजा अपडेट पाने के लिए कृपया Vnation के Facebook पेज को LikeTwitter पर Follow करना न भूलें...
Leave A Reply

Your email address will not be published.