नई दिल्ली: भारत केवल मंदिरों का ही नहीं, किलों का भी देश है। क्योंकि हमारे देश में सैकड़ों किले हैं, जो देश के विभिन्न हिस्सों में स्थित हैं। इनमें से कई किले सैकड़ों साल पुराने हैं और कई ऐसे किले भी हैं, जिनके निर्माण के बारे में कोई नहीं जानता। यहां मौजूद कई किले किसी न किसी वजह से रहस्यमयी भी माने जाते हैं। आज हम आपको एक ऐसे किले के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में कहा जाता है कि वहां से पूरा पाकिस्तान दिखाई देता है, लेकिन इस किले का आठवां द्वार बेहद रहस्यमय माना जाता है।
आपको बता दें कि इस किले को मेहरानगढ़ किले या मेहरानगढ़ किले के नाम से जाना जाता है। राजस्थान के जोधपुर शहर के मध्य में स्थित यह किला लगभग 125 मीटर की ऊंचाई पर बना है। इस किले की नींव 15वीं शताब्दी में राव जोधा ने रखी थी, लेकिन इसका निर्माण महाराज जसवंत सिंह ने पूरा किया था।
यह किला भारत के सबसे पुराने और सबसे बड़े किलों में से एक है, जिसे भारत के समृद्ध अतीत का प्रतीक माना जाता है। आठ द्वारों और असंख्य बुर्जों वाला यह किला ऊंची दीवारों से घिरा हुआ है। हालांकि इस किले के केवल सात द्वार (पोल) हैं, लेकिन कहा जाता है कि इसमें एक आठवां द्वार भी है, जो रहस्यमय है। किले के पहले द्वार पर हाथियों के हमले से बचाने के लिए नुकीले कीलों को लगाया गया था।
मेहरानगढ़ किले में कई भव्य महल, अद्भुत नक्काशीदार दरवाजे और जालीदार खिड़कियां हैं, जिनमें मोती महल, फूल महल, शीश महल, सिलेह खाना और दौलत खाना बहुत खास हैं। किले के पास चामुंडा माता का मंदिर है, जिसे राव जोधा ने 1460 ई. में बनवाया था। नवरात्रि के दौरान यहां विशेष पूजा की जाती है।
मेहरानगढ़ किले के निर्माण की कहानी ऐसी है कि राव जोधा जब जोधपुर के 15वें शासक बने तो उसके एक साल बाद ही उन्हें लगने लगा कि मंडोर का किला उनके लिए सुरक्षित नहीं है। राव जोधा ने अपने तत्कालीन किले से एक किलोमीटर दूर एक पहाड़ी पर एक किला बनाने का विचार किया। उस पहाड़ी को ‘भोर चिड़ियातुंक’ के नाम से जाना जाता था, क्योंकि वहां बड़ी संख्या में पक्षी रहते थे। माना जाता है कि राव जोधा ने 1459 में इस किले की नींव रखी थी।