गंगा में बहती लाशों को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी एक बार फिर मुखर हुए हैं. राहुल गांधी ने शुक्रवार को ट्वीट करते हुए इस मामले के पीड़ित परिवारों के लिए मुआवजा मांगा है. असल में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान उत्तर प्रदेश में गंगा नदीं में बहती लाशों की तस्वीरें वायरल हुई थीं. इन तस्वीरों के वायरल होने के बाद विपक्ष ने आरोप लगाया था कि यूपी सरकार कोरोना से होने वाली मौतों को छुपाने के लिए संक्रमितों की लाशों को लेकर गंगा नदीं में प्रवाहित कर रही है. तो वहीं इस मामले को यूपी सरकार ने विपक्ष के इन आरोपों को खारिज किया था.
राहुल गांधी ने शुक्रवार को नमामि गंगे के प्रमुख के दावे पर आधारित एक खबर की हेंडिंग ट्वीट करते हुए कहा है, ” गंगा की लहरों में कोरोना मृतकों के दर्द का सत्य बह रहा है, जिसे छुपाना संभव नहीं हैं”. साथ ही राहुल गांधी ने यूपी सरकार को घेरते हुए कहा कि ”पीड़ित परिवारों को मुआवजा देना न्याय की तरफ पहला कदम होगा”. असल में उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं. ऐसे में राहुल गांधी की तरफ से यूपी सरकार पर किया गया है यह हमला विधानसभा चुनाव में यूपी की राजनीति को गरमा सकता है. असल में विपक्ष पहले से ही कोरोना काल के दौरान यूपी सरकार के कुप्रबंधन को लेकर यूपी सरकार को घेरता रहा है.
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक और नमामि गंगे के प्रमुख राजीव रंजन मिश्रा और प्रशासनिक अधिकारी पुस्कल उपाध्याय ने ”गंगा: रीइमेजिनिंग, रिजुवेनेटिंग, रीकनेक्टिंग” शीर्षक के साथ यह किताब लिखी है. जिसे गुरुवार को प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय ने लॉन्च किया था. अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के मुताबिक किताब की एक अंश में दावा किया गया है कि कोरोना महामारी के दौरान गंगा नदी में 300 से ज्यादा शवों को फेंका गया था. खबर के मुताबिक में किताब में कोरोना संक्रमण के प्रभाव को बताते हुए लिखा गया है कि जैसे-जैसे कोरोना संक्रमण से होने वाले मौतों की संख्या बढ़ी, वैसे ही अंतिम संस्कार करने के लिए जगह का दायरा भी बढ़ता गया. किताब में जिलों द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों का हवाला देते हुए लिखा गया है कि 300 से ज्यादा शव नदी में फेंके गए थे.