महाराष्ट्र (Maharashtra) के खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) (FDA) ने खाने के सामान को छपे हुए कागज में देने पर प्रतिबंध (Ban) लगा दिया है. इस संबंध में एक आदेश भी जारी किया गया है. आदेश में कहा गया है कि छपे हुए कागज में खाने का कोई भी आइटम न बेचा जाए. क्योंकि इसकी स्याही (Ink) सेहत के लिए बहुत खतरनाक है.
राज्य के सभी कारोबारियों को खाने का सामान ऐसे किसी कागज में देने पर तुरंत रोक लगाने का आदेश दिया गया है. खासकर वड़ा पाव, पोहा, मिठाई और भेल जैसे सामान. ठेलों पर प्लेट की जगह कागज इस्तेमाल किया जाता है. आदेश के अनुसार इस तरह सामान देने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
सड़क किनारे बिकने वाले खाने के ज्यादातर आइटम कागज में ही लपेटकर दिए जाते हैं. एफडीए ने कहा कि इसे अगर तुरंत बंद नहीं किया जाता है तो विक्रेता कड़ी कार्रवाई के लिए तैयार रहें. एफडीए ने आदेश में कहा कि छपे हुए कागज में जिस स्याही इस्तेमाल की जाता है, उसमें केमिकल की मिलावट होती है. इसलिए इस तरह के कागज में खाने वाले आइटम नहीं दिए जा सकते हैं.
एफडीए के संयुक्त आयुक्त शिवाजी देसाई ने कहा कि साल 2016 में फूड सेफ्टी एंट स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने पूरे देश के लिए एक एडवाइजरी जारी की थी. इस एडवाइजरी में फूड आइटम को छपे हुए कागज में लपेटने पर भी बैन लगाया गया था. इस संबंध में काफी शिकायतें मिली हैं कि अभी भी अखबारों में खाने वाले आइटम दिए जा रहे हैं. इसलिए ये आदेश जारी किया गया है.
एफएसएसएआई ने 6 दिसंबर 2016 को इस संबंध में एक आदेश जारी किया था. उसमें सभी राज्यों से कहा था कि भारत में खाने के आइटम की अखबारों में पैकेजिंग करने और देने की प्रैक्टिस आम हो गई है. ये फूड सेफ्टी के लिए खतरा है. इस तरह के आइटम को खाने से स्वास्थ्य के लिए खतरा होता है. यहां तक खाना हाइजीनिक तरीके से बनाया गया हो तो भी स्याही के संपर्क में आने से ये स्वास्थ्य के लिए खतरा हो सकता है.
आदेश में कहा गया था कि भारतीयों को धीरे-धीरे ऐसा करके जहर दिया जा रहा है. क्योंकि छोटे होटल, वेंडर्स और घरों में भी ये प्रचलन चल रहा है. आदेश के अनुसार न्यूज पेपर, कार्डबोर्ड रीसाकल्ड पेपर से बनाए जाते हैं, जिसमें ढेर सारे केमिकल होते हैं. ये केमिकल ऑर्गन और इम्यून सिस्टम पर असर डालते हैं. इससे कैंसर से संबंधित बीमारियां हो सकती हैं.