होमगार्डस जवानों को होमगार्डस विभाग के माध्यम से मिलेगा वेतन भत्ता, कैदियों के लिए 60 वर्ष की आयु सीमा की बाध्यता समाप्त

कैदियों के उच्चतर पढ़ाई के लिए नियमों के तहत किया जायेगा प्रावधान

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश के होमगार्ड्स एवं कारागार राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री धर्मवीर प्रजापित ने आज अपने कार्यालय कक्ष में प्रेस प्रतिनिधियों के साथ वार्ता की। उन्होंने कहा कि लगभग 34 हजार होमगार्ड्स जवानों का वेतन अब होमगार्ड्स विभाग से दिया जायेगा। पहले उनका वेतन गृह विभाग से दिया जाता था। उन्होंने बताया कि मा0 मुख्यमंत्री जी से अनुरोध किया था कि इन जवानों को ड्यूटी एवं वेतन हेतु गृह विभाग पर निर्भर रहने से उनके सामने समय-समय पर असहज स्थिति आती रहती है। इसी के दृष्टिगत मा0 मुख्यमंत्री जी ने बजट को गृह विभाग से अलग करते हुए होमगार्डस विभाग को दे दिया है।

धर्मवीर प्रजापति ने बताया कि 25 हजार होमगार्डस जवान गृह विभाग से सम्बद्ध होकर विभिन्न थानों में एवं 8996 होमगार्डस जवान डॉयल 112 में तैनात थे। इनके हेतु क्रमश: 755 करोड़ एवं 320 करोड़ की बजट की व्यवस्था थी। अब इस बजट को वित्त विभाग ने होमगार्डस विभाग को दे दिया है। उन्होने बताया कि होमगार्ड्स विभाग इसका भुगतान अपने अनुसार कर सकेगा। होमगार्डस जवानो के लिए ड्यूटी की समस्या का भी हल हो जायेगा। होमगार्डस जवानों को गृह विभाग से ड्यूटी के भुगतान में विलम्ब होता था। जिसके कारण उन्हें अपने जीविकोपार्जन में कठिनाईयों का सामना करना पड़ता था परन्तु अब उनकों समय से ड्यूटी भत्ते का भुगतान हो सकेगा। इससे उनको भागदौड़ नहीं करनी पडेगी। उनकों समय से भुगतान प्राप्त होगा।

धर्मवीर प्रजापति ने बताया कि एक अन्य महत्वपूर्ण निर्णय के तहत आजीवन कारावास से निरूद्ध कैदियों से संबधित नियमावली में परिवर्तन किया गया है। पहले आजीवन कारावास के तहत 16 या 20 साल की सजा पूरी कर लेने के बाद भी कैदियों को 60 वर्ष की आयु सीमा तक जेल में रहना पड़ता था। परन्तु अब इसमें बदलाव करते हुए 60 साल की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया गया है। अब कोई भी कैदी अपनी 16 से 20 साल की सजा पूरी करने के बाद जेल से रिहा हो सकेगा। उन्होने बताया कि इससे कैदियों की मनोदशा में सकारात्मक बदलाव आया है।

धर्मवीर प्रजापति नें हाईस्कूल एवं इण्टरमीडिएट की परीक्षाओं में उत्तीर्ण होने वाले कैदियों को बधाई दी है। उन्होने बताया है कि जेल नियमावली के अध्ययन करने के पश्चात उनकी आगे की पढाई की क्या व्यवस्था हो सकती है इस पर विचार किया जायेगा। उन्होंने कहा कि कैदी शिक्षित एवं रोजगार के अवसर पा सके इसके लिए कारागार विभाग महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है। उन्होने बताया कि कारागार एमएसएमई विभाग से वार्ता करके उनके रोजगार सृजन के सम्भावनाओं को बेहतर बनाने के लिए प्रयास कर रहा है।

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