No Biopic : सुशांत सिंह राजपूत की बहन ने एक्टर की बायोपिक पर लगाया फुल स्टॉप, न्याय न मिलने पर दुखी है परिवार
दिवंगत एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की मौत ने उनके फैंस और उनके परिवार को पूरी तरह से झकझोर दिया था. आज भी उनके फैंस और उनका परिवार एक्टर के लिए न्याय की गुहार लगा रहे हैं. हाल ही में एक खबर ने खूब उफान लिया कि जल्द ही सुशांत सिंह की लाइफ पर अब बायोपिक (Biopic) बनने वाली है जिसके बाद कई मेकर्स और एक्टर्स के नाम सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गए कि उनकी बायोपिक की तैयारी शुरू हो गई है लेकिन अब सुशांत की बड़ी बहन प्रियंका ने इन सभी खबरों को अफवाह बताते हुए विराम लगा दिया है.
न्याय नहीं तो बायोपिक नहीं
सुशांत सिंह 14 जून 2020 को मुंबई के बांद्रा इलाके में स्थित अपने फ्लैट में फांसी पर लटके मिले थे. उनकी मौत से पूरे देश भर में हाहाकार मच गया था. परिवार और उनके प्रशंसक अब तक इस मौत को आत्महत्या न मानते हुए इसे हत्या मामला मानते हुए कानून से न्याय की आस लगा रहे हैं. वहीं खबर आई कि अब सुशांत की लाइफ पर अब एक फिल्म बनने जा रही है लेकिन सुशांत सिंह की बड़ी बहन प्रियंका ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर कर बताया कि इन खबरों में कोई सच्चाई नहीं है.
उन्होंने लिखा है. सुशांत की बायोपिक तब तक नहीं बननी चाहिए, जब तक उन्हें न्याय नहीं मिलता. ये मेरे होनहार भाई से मेरा वादा है और दूसरी बात ये कि मैं अचंभित हूं कि फिल्म इंडस्ट्री में ऐसा कौन सच्चा इंसान है जो सुशांत की करियर पर सच्चाई दिखाने की हिम्मत कर सकेगा.
वहीं उन्होंने अपने पोस्ट में इस बात का भी खुलासा किया कि सुशांत खुद अपनी बायोपिक में काम करना चाहते थे. प्रियंका के इस पोस्ट के बाद सुशांत के फैंस प्रियंका की बात को सही कह रहे हैं. उनका भी मानना है कि जब तक सुशांत का केस पूरी तरह से सुलझ नहीं जाता तब तक उनकी लाइफ को बड़े पर्दे पर फिल्म के रूप में नहीं दिखाया जाना चाहिए. ऐसे में अब इस बात की तो पुष्टि हो गई कि सुशांत की बायोपिक नहीं बन रही है.
‘जस्टिस फॉर एसएसआर अभियान है सक्रिय
बेशक सुशांत सिंह के मौत को काफी समय हो गया हो लेकिन आज भी सोशल मीडिया पर उनके फैंस द्वारा कई ऐसी मुहीम चलाई जा रही जिसमें उनके लिए जस्टिस की मांग हो रही है. हाल ही में 14 दिसंबर को सुशांत सिंह राजपूत की बहन प्रियंका सिंह और सुशांत के फैंस ने दिल्ली के जंतर मंतर पर एक मोमबत्ती की रोशनी का आयोजन किया था जहां ‘जस्टिस फॉर एसएसआर अभियान’ को फिर से गति देने की बात कही गई थी.