मथुरा: उत्तर प्रदेश के मथुरा के थाना जैंत क्षेत्र के गांव परखम गुर्जर में एक सप्ताह पूर्व हुई वृद्ध महिला के हत्याकांड का खुलासा शनिवार दोपहर अपर पुलिस अधीक्षक नगर एमपी सिंह कर दिया है। सम्पत्ति के लालच में एक कलयुगी बेटे ने अपनी मां की हत्या कर सोने चांदी के आभूषण और नगदी चुरा ली थी।
जैंत थाना प्रभारी ने आरोपित पुत्र को गिरफ्तार कर कड़ाई से पूछताछ की तो उसने अपना जुर्म कबूल कर लिया। आरोपित से बरामद कर जेल भेजा गया है। पुलिस लाइन सभागार में शनिवार दोपहर मथुरा के एसपी सिटी मार्तण्ड प्रकाश सिंह ने बताया कि दो तीन जुलाई को गांव परखम गुर्जर में मां गंगो देवी का हत्या कर सोने चांदी के आभूषण गायब करने की घटना प्रकाश में आई थी। जैंत पुलिस ने मामले की गहराई से छानबीन की तो शक की सुई मृतका के पुत्र की ओर जा रही थी।
थाना प्रभारी मनोज शर्मा ने पुत्र पप्पू उर्फ गोपी चंद पुत्र रामकिशन अग्रवाल निवासी गाम परखम गूर्जर को हिरासत में लेकर कड़ाई से पूछताछ की तो उसने जुर्म कबूलकर लिया है। जिसके कब्जे से दो जोड़ी पायजेब, एक छोटी लोंग, एक अंगूठी मर्दानी एक पैण्डल मय चैन व एक जोड़ी कुंडल व नगदी 65 हजार 900 रुपए बरामद हुए है। आरोपित को न्यायालय में पेश करके जेल भेजा जाएगा।
पिता से मन मुटाव का कारण-सम्पत्ति का कोई भी हिस्सा और पैसा मुझे नहीं, बल्कि दोनों भाई को दे देते थे। पिता हत्यारे पुत्र के अनुसार वह तीन भाई हैं, जिसमें दो दिल्ली में रहते हैं तथा फसल के टाईम पर गांव आते जाते रहते हैं। पिता करीब 20 वर्षो से खेती बाड़ी में होने वाली फसल व रूपये नहीं देते हैं। खेती वाड़ी से जो रूपये मिलते हैं। वह दोनों भाईयो को दे देते हैं। मुझे कोई हिस्सा नहीं दे रहे हैं। जबकि मेरा तीसरा हिस्सा है।
मेरे बच्चे बड़े हो रहे हैं, मेरी बड़ी बेटी करीब 17-18 वर्ष की है। बच्चों के पालन पोषण में काफी परेशानी हो रही है। इसी बात को लेकर मेरा पिता जी से मन मुटाव चला आ रहा था।उन्होंने कुछ जमीन बेची थी, उस जमीन में से भी मुझे कोई हिस्सा नहीं दिया, सारा पैसा माता जी के पास रहता था और माता जी मेरे सबसे छोटे भाई कोको उर्फ घनश्याम के घर पर रहती और अट्टा पर सोती थी।
बताया कि फसल का पैसा व बेची हुयी जमीन का पैसा माता जी श्रीमती गंगो के पास बक्से में रखा था। मुझे यह जानकारी थी। मैं मौके की तलाश में था। मेरे दोनों भाई दिल्ली में थे तथा पिताजी करीब एक माह से बहन हरदेवी के घर कोसीकला गये हुये थे। 2-3 जुलाई की तड़के करीब तीन बजे मैं माता जी के अट्टे पर बने कमरे पर गया तो वह सो रही थीं। गेट खुला हुआ था, चारपाई के बगल में रखा बक्शा जिसके कुन्दे काफी कमजोर थे। मैंने हाथों से उखाड़कर बक्से के ऊपर के ढक्कन खोलकर उसमें रखे बैग को निकाल लिया और जल्दबाजी में बक्से का ढक्कन बक्से पर गिरा। आवाज होने के कारण माता जी जाग गयीं, मैंने सोचा मुझे पहचान लिया है और यह बात सभी को बतायेंगी, जिससे मेरी बहुत बड़ी बेइज्जती होगी तो मैंने अपने हाथ से उनकी गर्दन व मुँह दबा दिया, जिससे उनकी मौत गई।