नई दिल्ली: केरल हाई कोर्ट ने शुक्रवार को एक फैसले में कहा कि अगर कोई सहमति से यौन संबंध बनाने के बाद शादी करने से इंकार कर रहा है तो यह दुष्कर्म के अपराध में नहीं आता है. रेप के आरोपी वकील को जमानत देते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि यह रेप तभी होता है जब रजामंदी न हो.
जस्टिस बेचू कुरियन थॉमस ने एक वकील की दायर जमानत अर्जी पर फैसले में यह टिप्पणी की, जिस पर एक सहकर्मी के साथ चार साल तक संबंध रखने और फिर दूसरी महिला से शादी करने का फैसला करने का आरोप है.
केरल हाईकोर्ट ने कहा कि दो इच्छुक वयस्क लोगों के बीच यौन संबंध भारतीय दंड विधान की धारा 376 के दायरे में दुष्कर्म के अपराध की श्रेणी में नहीं आता है. जब यौन संबंध छलपूर्वक या गलतबयानी के जरिए बनाए गए हों तभी ये दुष्कर्म माने जाएंगे. सहमति से बनाए गए संबंध बाद में विवाह में परिवर्तित नहीं किए गए हों तब भी ये दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं आते.
शारीरिक संबंध बनाने के बाद शादी से इनकार करना या रिश्ते को शादी में बदलने में विफल रहने को दुष्कर्म नहीं माना जा सकता। एक पुरुष और एक महिला के बीच यौन संबंध केवल तभी दुष्कर्म की श्रेणी में आ सकता है जब यह महिला की इच्छा के विरुद्ध हो या उसकी सहमति के बिना बनाए गए हों।