नई दिल्ली। अब ज्यादा से ज्यादा अस्पताल मरीजों को कैशलेस इलाज मुहैया करा सकेंगे। भारतीय बीमा विकास और नियामक प्राधिकरण (IRDA) ने बीमा कंपनियों को अपनी मर्जी से अस्पतालों को सूचीबद्ध करने की स्वतंत्रता दी है।
कंपनियों को बोर्ड स्तर पर नीति बनानी होगी। उसके बाद वे किसी भी अस्पताल को पैनल में ला सकते हैं। इस फैसले से कैशलेस सुविधा के नियमों को सरल बनाया गया है। अभी तक सिर्फ उन्हीं अस्पतालों को पैनल में शामिल करने की इजाजत थी, जिनके पास एनबीएच का सर्टिफिकेट था। या फिर अस्पताल को रोहिणी (बीमाकर्ताओं के नेटवर्क में अस्पतालों की रजिस्ट्री) के साथ पंजीकृत होना आवश्यक था। इरडा ने बीमा कंपनियों के साथ टीपीए (थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर) को भी पत्र भेजे हैं।
इरडा ने कहा कि बोर्ड की नीति में अस्पताल में न्यूनतम जनशक्ति और स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचे का ध्यान रखना चाहिए। इसके साथ ही बोर्ड द्वारा अनुमोदित पैनल के नियमों को समय-समय पर कंपनियों की वेबसाइट पर डालना भी आवश्यक है। जीएसटी परिषद ने हाल ही में 5,000 रुपये प्रति दिन से अधिक किराए वाले कमरों पर 5% जीएसटी लगाने को मंजूरी दी है। इससे स्वास्थ्य बीमा महंगा हो सकता है। हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर भी 18 फीसदी जीएसटी लगता है। इसके चलते बीमा कंपनियों को अस्पताल पैकेज में भी बदलाव करने होंगे।
इरडा ने कहा कि पैनल में सिर्फ उन्हीं अस्पतालों को शामिल किया जाएगा, जो बीमा कंपनियों के बोर्ड द्वारा बनाए गए नियमों का पालन करेंगे। बीमा कंपनियों का कहना है कि बीमा कारोबार में लगातार सुधार हो रहा है। इस सर्कुलर से अब ज्यादातर इलाकों के और अस्पतालों में बीमा की पहुंच होगी। इससे अधिक से अधिक लोगों तक बीमा की पहुंच भी बढ़ेगी।