दिल्ली सचिवालय पर मनाया गया गणतंत्र दिवस समारोह, केजरीवाल ने किया ध्वजारोहण

0 264

दिल्ली सचिवालय पर आज दिल्ली सरकार द्वारा गणतंत्र दिवस समारोह का आयोजन किया गया. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ध्वजारोहण के साथ इस कार्यक्रम की शुरुआत की. इसके बाद अरविंद केजरीवाल ने संबोधित भी किया. केजरीवाल ने अपने संबोधन में दिल्ली में कोरोना की मौजूदा स्थिति से लेकर सरकार के कामकाज का ब्योरा दिया. उन्होंने अपने पूरे भाषण में बाबा साहब अंबेडकर और भगत सिंह के विचारों और उनके जीवन के बारे में बात की.

उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार इन दोनों के दिखाए रास्ते पर ही आगे बढ़ेगी. इसके साथ ही अरविंद केजरीवाल ने ये एलान भी किया कि अब दिल्ली के सभी सरकारी दफ़्तरों में बाबा साहब अंबेडकर और भगत सिंह की तस्वीर लगायी जाएगी. अब किसी मुख्यमंत्री और नेता की तस्वीर नहीं लगेगी.

अपने भाषण में केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली नहीं पूरी दुनिया पिछले दो साल से कोरोना से जूझ रही है. देश में तीसरी लहर चल रही है जबकि दिल्ली में पांचवीं लहर है. ये बाहर से आया वायरस है. दिल्ली ने सबसे ज्यादा झेला है. इंटरनेशल फ़्लाइट दिल्ली में ज्यादा आती है, इसलिए सबसे पहली मार दिल्लीवालों ने झेली है, लेकिन जिस धैर्य के साथ इस महामारी का सामना किया है वो क़ाबिले तारीफ़ है. कोरोना जब बढ़ता है तो पाबंदियां लगानी पड़ती है इससे लोगों को तकलीफ होती है लेकिन आप भरोसा रखिये हम उतनी ही पाबंदी लगाते हैं जितनी ज़रूरत होती है. आपकी रोज़ी रोटी न खराब हो इसका ध्यान रखते हैं. लेकिन जान भी जरूरी है. कुछ व्यापारी मेरे पास आए बोले ऑड-अवन से दिक्कत हो रही है. हमने LG को प्रस्ताव भेजे थे इन पाबंदियों को हटाने के लिए उन्होंने कुछ माने कुछ नहीं माने. सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने LG को कहा कि वो गलत कर रहे हैं. लेकिन मैं कहता हूं LG साहब बहुत अच्छे हैं, वो आपकी जिंदगी के बारे में सोच रहे है लेकिन हम कोशिश कर रहे है कि जल्दी ही पाबंदी हटे. बाबा भीम राव अंबेडकर पर भी सीएम बोले और कहा कि आज गणतंत्र दिवस है. आज सभी स्वतंत्रता सेनानियों की याद आती है. किसी भी सैनानी के शौर्य और योगदान को कम नहीं आंका जा सकता. लेकिन दो स्वतंत्रता सैनानी ऐसे है जिनसे में सबसे ज्यादा प्रभावित हूं. ये दोनों हीरे की तरह चमकते हैं. इनमें से एक है बाबा भीमराव अंबेडकर और दूसरे है शहीद-ए-आज़म भगत सिंह. दोनों के रास्ते अलग थे लेकिन मंज़िल और सपने एक थे. बाबा साहेब ने बहुत संघर्ष किया. जितनी बार भी मैं अंबेडकर को पढ़ता हूं मुझे लगता है कि यही लाइन आइंस्टाइन की बाबा साहब के लिये भी कही जा सकता है. वो शख़्स जिसने कदम-कदम पर छुआ-छूत को बर्दास्त किया वो लंदन से पीएचडी करके आता है. इतने पिछड़े वर्ग के व्यक्ति ने कोलंबिया यूनिवर्सिटी के बारे में सुना भी कैसे होगा. हमारे अपने बच्चे आज वहां एडमिशन लेना चाहें तो कोई आसान बात नहीं है. उनकी जेब में पैसा तक नहीं था. लेकिन यही व्यक्ति बाद में चलकर देश का संविधान लिखते हैं और देश के पहले कानून मंत्री बनते हैं, गजब के इंसान थे. उनसे ये सीख मिलती है कि देश के लिए बड़े सपने देखो, देश के लिए सपने देखो, विकास के लिए सपने देखो.

नोट: अगर आपको यह खबर पसंद आई तो इसे शेयर करना न भूलें, देश-विदेश से जुड़ी ताजा अपडेट पाने के लिए कृपया Vnation के Facebook पेज को LikeTwitter पर Follow करना न भूलें...
Leave A Reply

Your email address will not be published.