राज्यसभा में सभापति एम. वेंकैया नायडू को दी विदाई, भावुक हुए पीएम मोदी

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Parliament’s Monsoon Session: संसद के मानसून सत्र की कार्यवाही शुरू हो गयी है ऐसे में आज राज्यसभा में सभापति एम. वेंकैया नायडू को विदाई दी गयी। इस दौरान पीएम मोदी भावुक नजर आए।बता दें कि एम. वेंकैया नायडू का कार्यकाल 10 अगस्त को समाप्त हो रहा है। ऐसे में 11 अगस्त को नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति के तौर पर एनडीए के जगदीप धनखड़ शपथ लेंगे। उन्होंने एम. वेंकैया नायडू को विदाई देते हुए कहा कि आज हम सब यहां आपके कार्यकाल के समापन पर आपका धन्यवाद करने के लिए मौजूद हैं।पीएम मोदी कहते है कि “आज हम सब यहां राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू को उनके कार्यकाल के समापन पर धन्यवाद देने के लिए मौजूद हैं. यह इस सदन के लिए बहुत ही भावुक क्षण है. सभा के कई ऐतिहासिक क्षण आपकी गरिमामयी उपस्थिति से जुड़े हैं।”

पीएम मोदी कहते है कि ‘यह इस सदन के लिए बहुत ही भावुक क्षण है. सदन के कई ऐतिहासिक क्षण आपकी गरिमामयी उपस्थिति से जुड़े हैं। पीएम मोदी कहते है कि आपने कई बार कहा है, मैं राजनीति से संन्यास ले चुका हूं, लेकिन सार्वजनिक जीवन से नहीं थक रहा हूं. इसलिए, इस सदन का नेतृत्व करने की आपकी जिम्मेदारी अब समाप्त हो सकती है. लेकिन देश के साथ-साथ सार्वजनिक जीवन में मेरे जैसे कार्यकर्ताओं को आपके अनुभवों का लाभ मिलता रहेगा’।

एम. वेंकैया नायडू के विदाई भाषण पर पीएम मोदी ने आगे कहा कि ‘निजी तौर पर यह मेरा सौभाग्य रहा है कि मैंने आपको अलग.अलग भूमिकाओं में करीब से देखा है. मुझे भी उन कुछ भूमिकाओं में आपके साथ काम करने का सौभाग्य मिला. एक पार्टी कार्यकर्ता के रूप में आपकी वैचारिक प्रतिबद्धता हो, एक विधायक के रूप में आपका काम हो, एक सांसद के रूप में सदन में आपकी गतिविधि हो, पार्टी प्रमुख के रूप में आपका नेतृत्व हो, कैबिनेट में आपकी कड़ी मेहनत हो, उपराष्ट्रपति और राज्यसभा अध्यक्ष के रूप में, मैंने आपको अपनी सभी भूमिकाओं में निष्ठापूर्वक काम करते देखा है। आपने कभी किसी काम को बोझ नहीं माना. हर काम में एक नई जान फूंकने की कोशिश की है’।

पीएम मोदी कहते है कि प्रधानमंत्री मोदी ने राज्यसभा के चेयरमैन वैंकैया नायडू की तारीफ में कहा, “आप कहते हैं कि राष्ट्र भाषा आखों की रोशनी की तरह होती है और दूसरी भाषाएं दूसरे चश्में की तरह होती हैं. आपने सदन में सभी भारतीय भाषाओं को बढ़ाने का काम किया। यही वजह है कि कोई भी सदस्य किसी भा 22 भारतीय भाषा में यहां बोल सकता है. आपके कार्यकाल में सदन की प्रोडक्टिविटी 70 फीसदी बढ़ी है।”

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