ग्राम सभा के पोखर बनेंगे मछली बीज के बैंक, पांच साल में ग्रामसभा से पट्टे वाले 500 पोखरों को मछली बैंक बनाने का लक्ष्य
निषादराज बोट सब्सिडी योजना के तहत 7500 पट्टाधारक मछुआरों को नाव और जाल उपलब्ध कराएगी सरकार
लखनऊ: योगी सरकार मछली पालन व्यवसाय से जुड़े मत्स्य किसानों को आजीविका के बेहतर अवसर प्रदान कर उनके आर्थिक विकास के लिए लगातार प्रयासरत है। इसी दिशा में नए कदम उठाते हुए सरकार ने हर साल 100 तालाबों को मत्स्य बीज के बैंक के रूप में विकसित करने का लक्ष्य रखा है। इस तरह अगले पांच साल में 500 तालाब मछली बीज के रूप में विकसित हो जाएंगे। ये वह तालाब होंगे, जो मछुआरा समुदाय को पट्टे पर मिले होंगे। ऐसा होने पर मछली पालकों को गुणवत्तापूर्ण बीज की कमीं नहीं रहेगी। इससे सरकार की मंशा के अनुसार इनलैंड मछली उत्पादन में वृद्धि भी होगी।
योगी सरकार निषादराज बोट सब्सिडी योजना के तहत पट्टाधारक मछुआरों को नाव और जाल आदि उपलब्ध कराएगी। 5 वर्ष में इस योजना में 7500 मछुआरे व पट्टा धारकों को नाव के साथ जाल उपलब्ध कराने का लक्ष्य है। योजना के तहत मछुआरा समुदाय को एक लाख की नाव पर 40 फीसद का अनुदान मिलेगा। इससे मछली उत्पादन में वृद्धि होगी और मछली पालन को अपनाने वाले लोगों को स्थायी आजीविका भी उपलब्ध होगी। मालूम हो कि योगी सरकार स्थानीय स्तर पर कम पूंजी में अधिक लाभ देने वाले व्यवसायों को बढ़ावा दे रही है। मछली पालन भी एक ऐसा ही व्यवसाय है। इसे बढ़ावा देकर मछली उत्पादन में वृद्धि के लिए उप्र मत्स्य पालन विकास निगम के विभागीय मत्स्य फार्मों/हैचरी एवं निजी क्षेत्र की हैचरी से मत्स्य कृषकों को गुणवत्तापूर्ण मत्स्य बीज की आपूर्ति की घोषणा पहले ही सरकार कर चुकी है।
लैंड लॉक्ड उत्तर प्रदेश में इनलैंड मछली पालन की अपार संभावनाएं हैं। हाल के वर्षों में प्रदेश ने इनलैंड (अन्तरस्थलीय ) मछली पालन में खासी प्रगति भी की है। वर्ष 2020-2021 में इनलैंड मछली पालन में प्रदेश को सर्वश्रेष्ठ राज्य का पुरस्कार मिलना इसका प्रमाण है। सरकार इस दर्जे को बरकरार रखने की हर संभव कोशिश करेगी। चुनाव के पहले भाजपा की ओर से जारी लोककल्याण संकल्प पत्र-2022 में भी भाजपा ने इस बाबत प्रतिबद्धता जाहिर की थी। संकल्प पत्र के मुताबिक सरकार बनने पर भाजपा “निषाद राज बोट सब्सिडी योजना” शुरू करेगी। इसके तहत मछुआरा समुदाय को एक लाख रुपये तक की नाव खरीदने पर 40 फीसद तक अनुदान देय होगा। अब इसके बाबत लक्ष्य भी तय कर दिया गया है। बीज उत्पादन की इकाई लगाने पर 25 फीसद अनुदान देय होगा। 6 अतिआधुनिक मछली मंडियों का निर्माण, उत्पादन और निर्यात बढ़ाने के लिए इंटीग्रेटेड एक्वा फार्म के स्थापना का जिक्र भी संकल्पपत्र में किया गया था। दोबारा भारी बहुमत से सत्ता में आने के बाद मछली पालन के प्रोत्साहन के प्रति सरकार ने एक बार फिर प्रतिबद्धता जतायी है। दोबारा मुख्यमंत्री बनने के चंद रोज बाद मंत्रिमंडल के समक्ष कृषि उत्पादन सेक्टर के प्रस्तुतिकरण के दौरान मछली पालन को प्रोत्साहन देने के लिए मुकम्मल कार्ययोजना भी उनके समक्ष प्रस्तुत की गई थी।
पिछले 5 साल के आकड़ों पर गौर करें तो हर साल मछली के उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि दर्ज की गई है। इस दौरान उत्पादन 6.176 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 7.456 लाख मीट्रिक टन हो गया। इनलैंड मछली पालन में आंध्रप्रदेश, पश्चिमी बंगाल के बाद उत्तर प्रदेश का तीसरा स्थान है। इन तीनों राज्यों में इनलैंड मछली का उत्पादन क्रमशः 36.1, 16.19 6.99 लाख टन है। सरकार के लिए उत्पादन और मांग का यही अंतर अवसर भी है। जलाशयों की संख्या, भरपूर बारिश, सर्वाधिक आबादी के नाते बाजार एवं सस्ता श्रम इन संभावनाओं को और बढ़ा देते हैं। मालूम हो कि प्रदेश में जलाशयों, झीलों तालाबों का कुल रकबा करीब 5 लाख हेक्टेयर है। मछुआरा समुदाय को केंद्र में रखकर इन जलश्रोतों का बेहतर उपयोग के जरिए मछली उत्पादन में वृद्धि, किसानों के लिए रोजगार और आय का अतिरिक्त जरिया बनाना सरकार का लक्ष्य है। इसके लिए सरकार निजी भूमि पर मछली पालन के लिए तालाब खुदवाने को प्रोत्साहित कर रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पहले कार्यकाल में 1520 हेक्टेयर भूमि पर निजी तालाब खोदे गये। करीब एक लाख मत्स्य पालकों को किसान क्रेडिट कार्ड से जोड़ा गया। करीब 465 हेक्टेयर में मछली बीज की रियरिंग इकाइयों की स्थापना से शुरुआत हो चुकी है। इस क्रम को आगे बढ़ाते हुए योगी सरकार 2.0 में रिवर रैचिंग, मत्स्य बीज वितरण की योजना बनायी गई है।
प्रधानमंत्री मत्स्य योजना की मदद से प्रदेश सरकार का लक्ष्य अगले पांच साल में मछली के उत्पादन में प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाना है। इसके लिए 12 लाख टन मछली के उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। प्रधानमंत्री मत्स्य योजना के तहत लाभार्थियों का पंजीकरण, ऑनलाइन आवेदन, डीबीटी के जरिए अनुदान के ट्रांसफर आदि की प्रकिया को पूरी पारदर्शिता से किए जाने की व्यवस्था की गई है। इस योजना के तहत चुने गये लाभार्थियों को आइस बॉक्स के साथ साईकल, बाइक, ऑटो भी देगी। ताकि वह तालाब से सीधे मछली खरीदकर उनको बेचकर अधिक से अधिक लाभ कमा सकें।
मछली को यूं ही नहीं “जल की रानी” कहा जाता है। मछली पालन के एक साथ कई लाभ हैं। यह पर्यावरण के अनुकूल है। जीव जनित प्रोटीन का बेहतर स्रोत होने के साथ मटन और चिकन से सस्ता होना इसकी अन्य खूबियां हैं। किसानों के लिए अतिरिक्त आय, गरीबी उन्मूल, रोजगार का जरिया, निर्यात की संभावना की वजह से विदेशी मुद्रा का अर्जन सोने पर सुहागा जैसा है। मछली की इन्हीं खूबियों के नाते इसके प्रोत्साहन के लिए सरकार ने “ब्लू रेवोल्यूशन” का नारा दिया था।
डॉक्टर संजय श्रीवास्तव