यूपी के इस जिले में रहस्यमयी बुखार का कहर, एक हफ्ते के लिए बंद की गई स्कूलों की कक्षाएं

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गोरखपुर. गोरखपुर में रहस्यमय वायरल बुखार के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। सोमवार को जिला अस्पताल से लेकर मेडिकल कालेज की ओपीडी में बड़ी संख्या में बुखार के मरीज इलाज कराने पहुंचे। मरीजों में सर्वाधिक संख्या बच्चों और किशोरों की है। सोमवार को जिला अस्पताल के बालरोग और मेडिसिन की ओपीडी में मरीजों की लंबी कतार लगी रही। इस बुखार से पीड़ित कुछ रोगियों के मुंह में छाले और शरीर पर लाल चकत्ते हो जा रहे हैं।

गोरखनाथ, सिविल लाइंस, तारामंडल और खोराबार क्षेत्र के कई स्कूलों के छात्रों के बीमारी की चपेट में आने के बाद स्कूलों ने एहतियात बरतने शुरू कर दिए हैं। स्कूलों की प्राथमिक कक्षाओं के संचालन पर प्रबंधन ने रोक लगानी शुरू कर दी है। सोमवार को कुछ स्कूलों में पांचवीं तक की कक्षाओं के संचलन को एक हफ्ते के लिए स्थगित कर दिया गया।

महानगर में फैले रहस्यमय बुखार की पहचान डॉक्टरों के लिए सिरदर्द बन गई है। मर्ज की पहचान के लिए डॉक्टरों ने मरीजों की कोविड जांच कराने की भी शुरूआत कर दी है। जबकि इन मरीजों में कोविड जैसे लक्षण नहीं है। इसके कारण अस्पतालों में कोविड जांच का ग्राफ सोमवार को उछल गया। सोमवार को एहतियातन हुई कोविड जांच का कोई खास परिणाम नहीं निकला। रहस्यमय बुखार से जूझ रहे मासूम कोविड की एंटीजन जांच में निगेटिव मिले।

मंकीपॉक्स के संक्रमण का भी खतरा मंडराने लगा है। बीआरडी मेडिकल कॉलेज में मंकीपॉक्स का एक संदिग्ध मरीज भर्ती किया गया है। उसे आइसोलेशन वार्ड में रखा गया है। मरीज के लार व खून का नमूना केजीएमयू, लखनऊ को भेज दिया गया है।

बताया जाता है कि 36 वर्षीय युवक झंगहा का रहने वाला है। युवक हाल ही में अफ्रीकी देश से लौटा है। वहां से आने के बाद वह बीमार पड़ गया। उसके शरीर पर फफोले पड़ने लगे। उसे तेज बुखार, सांस लेने में तकलीफ और शरीर पर चकत्ते भी पड़ गए। यह देखकर परिजन उसे बीआरडी मेडिकल कॉलेज लेकर पहुंचे। यहां पर बीते शुक्रवार को उसे भर्ती किया गया है।

संदिग्ध युवक का इलाज मेडिसिन और चर्म रोग विभाग की संयुक्त टीम कर रही है। मेडिकल कॉलेज के चर्म रोग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. राजकुमार ने बताया कि प्रारंभिक लक्षण मंकीपॉक्स जैसे लगे। इस वजह से एहतियातन मरीज को अलग रखा गया है। प्रोटोकॉल के तहत उसका इलाज किया जा रहा है। उसकी सांस भी फूल रही है।

मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ. अमरेश सिंह ने बताया कि संदिग्ध मरीज आने की चर्म रोग और मेडिसिन विभाग से सूचना मिली थी। इसके बाद तकनीशियन की टीम वार्ड में गई। मरीज के खून व लार का नमूना लिया गया है। इस मामले में शासन से स्पष्ट निर्देश है कि मंकीपॉक्स की जांच सिर्फ केजीएमयू में ही होगी। पूर्वी यूपी के लिए केजीएमयू नोडल सेंटर भी है। ऐसे में नमूने को जांच के लिए केजीएमयू भेज दिया गया है।

प्राचार्य डॉक्टर गणेश कुमार के अनुसार मेडिकल कॉलेज में मरीज का इलाज चल रहा है। अभी बीमारी की तस्दीक नहीं हुई है। फिर भी डॉक्टरों की टीम एहतियात बरत रही है। उसके नमूने को जांच के लिए लखनऊ भेजा गया है। रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा।

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