उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद से पुलिस ने 30 पहले हुए सामुहिक हत्याकांड के दोषी को गिरफ्तार किया है. आरोपी पिछले 30 सालों से फरार था और बौद्ध भिक्षु के रूप में छिपा हुआ था. आरोपी राम सेवक ने अपने भाई के साथ मिलकर 1991 में कायमगंज कोतवाली क्षेत्र के लखनपुर गांव में 6 लोगों की हत्या कर दी थी. जिसके बाद हत्या में शामिल तीन आरोपियों को जेल भेज दिया गया था, लेकिन बाद में उन्हें जमानत दे दी गई. उसके बाद स्थानीय अदालत ने तीनों आरोपियों को मौत की सजा सुनाई थी.
इसके बाद से वो और उसका भाई किशोरी लाल फरार हो गए. वह पिछले तीस साल से फरार था और उसे सोमवार रात फर्रुखाबाद बस स्टैंड के पास से गिरफ्तार किया गया. पुलिस पूछताछ में सामने आया कि वो दिल्ली गया था. जहाँ उसने बौद्ध के रूप में दीक्षा ली थी और बौद्ध भिक्षु के रूप में रहने लगा था. आरोपी ने अपना नाम और पहचान भी बदल ली थी.
साल 1991, कायमगंज कोतवाली के लखनपुर गांव में सामूहिक हत्याकांड हुआ था. इस गांव में गुलजारी लाल अपनी पत्नी रामवती और बेटे धर्मेंद्र, राकेश, उमेश के साथ रहते थे. इनके पड़ोस में बाबूराम रहते थे. 18 अगस्त को इन सभी की एक साथ हत्या कर दी गई थी. पुलिस के मुताबिक गुलजारी लाल के बेटे का गांव के ही रहने वाले कृष्ण की बेटी से अफेयर था. दोनों एक साथ घर से भाग गए थे. इसी बात को लेकर कृष्ण और गुलजारी लाल के घर में रंजिश थी. 18 अगस्त 1991 को कृष्ण अपने साथी रामसेवक और किशोरी लाल के साथ गुलजारी लाल के घर पहुंचे और पांचो लोगों की हत्या कर दी, वहीं बीच बचाव करने आए बाबूराम की भी हत्या कर दी.
आरोपी रामसेवक को 30 साल बाद बौद्ध भिक्षु के रुप में घूमते हुए फर्रुखाबाद में ट्रैफिक पुलिस ने गिरफ्तार किया है. पूछताछ में उसने बताया कि सालों पहले वह दिल्ली चला गया था. वहां संगम विहार में बौद्ध दीक्षा लेकर अपना नाम बदलवा लिया था. वहीं से बौद्ध भिक्षु के भेष में आकर बदायूं के कस्बा म्याऊं में बने बौद्ध मठ में रहता रहा. वह म्याऊं के अलावा दिल्ली आदि शहरों में भी रहा है. यहीं से उसने अपना फर्जी आधार कार्ड और नागरिकता संबंधी अन्य कागजात भी बनवा लिए थे.