PFI पांच साल के लिए बैन, जानिए चार बड़े नेताओं का कच्चा चिट्ठा

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नई दिल्‍ली। केंद्र सरकार ने आतंकी गतिविधियों में शामिल कुख्यात संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) को गैरकानूनी संस्था (illegal organization) घोषित करते हुए उस पर पांच साल की अवधि के लिए प्रतिबंध लगा दिया है। इस प्रतिबंध में संस्था के सभी सहयोगियों और तमाम मोर्चों को गैरकानूनी घोषित किया गया है।

आपको बता दें कि हाल ही में देश के करीब 7 राज्यों में स्थानीय पुलिस और आतंकरोधी दस्ते ने पीएफआई से जुड़े ठिकानों पर छापा मारकर 200 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया। पूछताछ के बाद इनमें से कई को गिरफ्तार कर लिया गया। इससे पहले भी 15 राज्यों में 93 स्थानों पर छापा मारा गया था। पीएफआई की देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने की आशंका की वजह से कई दिनों से सरकारी एजेंसियां जांच कर रही थीं। इस दौरान प्रवर्तन निदेशालय ( ईडी) और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने देशभर में इस संगठन के तमाम ठिकानों पर छापे मारे, हालांकि इनकी गिरफ्तारियां से लोग विरोध भी कर रहे हैं।

इससे पहले 22 सितंबर को हुई छापेमारी में PFI के 45 नेताओं को गिरफ्तार किया गया था. छापेमारी के दौरान तीन ऐसे लोगों की भी गिरफ्तारी हुई जिन्होंने साल 1992 में PFI के मूल संगठन नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट (NDF) की स्थापना और संचालन किया था. ये तीनों हैं पी कोया, ई अबूबकर और ईएम अब्दुल रहिमन। इन तीनों नेताओ में एक लाइब्रेरियन, एक प्रोफेसर और एक अरबी भाषा का शिक्षक हैं। ऐसे में PFI के कुछ शीर्ष नेताओं के बारे में जानते हैं. जिनकी गिरफ्तारी 22 सितंबर को छापेमारी के दौरान हुई।

पी कोया- पकड़े गए तीन बड़े नेताओं में एक पी कोया केरल के कोझिकोड के एक गवर्नमेंट आर्ट्स कॉलेज में प्रोफेसर है. वह 1978-79 के दौरान SIMI का सदस्य थे। SIMI एक प्रतिबंधित इस्लामिक छात्र संगठन है जिसकी स्थापना 25 अप्रैल 1977 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हुई थी. साल 2001 इस संगठन को आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त रहने के कारण प्रतिबंधित कर दिया गया था।

अब्दुल रहिमन- गिरफ्तार किए जाने वाले दूसरे बड़े नेता का नाम था ईएम अब्दुल रहिमन है. वह केरल के एर्नाकुलम के रहने वाले हैं। अब्दुल रहिमन एक रिटायर्ड लाइब्रेरियन है. रहिमन 70 के दशक में SIMI में शामिल हुए थे जिसके बाद में इसके ऑल इंडिया अध्यक्ष बने। 1990 के दशक में उनके नेतृत्व में राष्ट्रीय विकास मोर्चा की स्थापना की गई।

अनीस अहमद- ‘द हिंदू’ के मुताबिक इस छापेमारी में पकड़ा गया तीसरा नेता अनीस अहमद है। अनीस अहमद PFI का जनरल सेक्रेटरी हैफ जब पीएफआई ने साइबर स्पेस में अपनी गतिविधियों का विस्तार किया तो उन्होंने एक प्रमुख भूमिका निभाई थीफ PFI के राष्ट्रीय महासचिव पद पर रहे अनीस अहमद ने हाल ही में निकाले जाने से पहले छह महीने तक बेंगलुरू के एरिक्सन में ग्लोबल टेक्निकल मैनेजर के रूप में काम किया था। वह सोशल मीडिया पर भी काफ़ी एक्टिव रहते थे। उन्हें समय-समय कई मुद्दों पर अपनी बात रखते हुए भी देखा गया है।

अबु बकर-अबूबकर अरबी भाषा के शिक्षक हैं। उसने एनडीएफ की स्थानीय स्तर की इकाइयों के निर्माण के लिए पूरे केरल की यात्रा की। जब कई छोटे मुस्लिम संगठन बाबरी मस्जिद के लिए धन इकट्ठा करने के लिए संघर्ष कर रहे थे तब अबु बकर ने संगठन को मजबूत करने के लिए अलग-अलग राज्यों में यात्राएं की और लोकल मुस्लिम संगठनों को साथ लाने की कोशिश की।

अगर पीएफआई की बात करें तो पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया एक कट्टर विचारधारा वाला संगठन माना जाता है। इसकी शुरुआत साल 2006 में दक्षिण भारतीय राज्य केरल में हुई. वर्ष 2006 में तीन मुस्लिम संगठनों का विलय हुआ जिसके बाद पीएफआई अस्तित्व में आया।

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