आज पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार का अंतिम दिन है, 10 फरवरी को चुनाव होने है , सभी दल अपना अपना मौहाल बनाने के लिए पूरी ताकत झोक रहे है।
सियासी बयानों में गरमी ,चर्बी जैसे शब्द सबसे ज्यादा ट्रेंड कर रहा है,पर बड़े से बड़े चुनावी पंडित भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मौहाल नहीं भॉप पा रहे है ,कभी लगता है इधर पलड़ा भरी है तो कभी काँटा बदल जाता है ।
और इसकी सबसे बड़ी वजह है जाट वोटर ,जिन्हे लामबंद करने के लिए ग्रहमंत्री अमित शाह 250 से ज्यादा जाट नेताओ से मिलते है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने हर भाषण में सचिन और गौरव (जाट युवा जिनकी साम्प्रदिक दंगो में हत्या हो गयी थी ) उनका का जिक्र जरूर करते है उधर जयंत चौधरी कभी नरेश टिकैत के घर खाना खाकर आशीर्वाद लेते दिखते है ,तो कभी राकेश टिकैत को चुनाव प्रचार उतार लेते है।
दोनों पार्टिया ये दिखाने की कोशिश कर रही की जाट उनके साथ है,पश्चिमी उत्तर प्रदेश में वोटो के गणित की बात करे तो जाट मतदाओं की संख्या लगभग 18 प्रतिशत से भी अधिक है और 12 प्रतिशत मुस्लिम वोटर है।
ऐसे अखिलेश यादव ने जयंत चौधरी को अपने खेमे में लेकर मास्टरस्ट्रोक जरूर खेला पर अमित शाह का बयान कि ” जयंत चौधरी ने गलत घर चुना है,हम आज भी उनके साथ आना चाहते है “ डैमेज कण्ट्रोल की कोशिश थी ,पर सफल नहीं हुई ! भाजपा ने सपा पर दंगाइयों को टिकट देने का आरोप लगा कर जाटों को लामबंद करने के कोशिश की ! सपा मुख्य रूप से जाट और मुस्लिम वोटर के सहारे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपनी नैया पार लगाने की कोशिश कर रही है !
उधर ओवैसी के सीमित प्रभाव के चलते,भाजपा जाट वोटरों के सेंधमारी की कोशिश में लगी है ,ऐसे में ये देखना बेहद दिलचस्प की जाट किस करवट बैठेते है, क्युकी जाट जिधर भी जायगे पलड़ा उधर ही झुकेगा !