Naxalite Surrender In Chattisgarh: नक्सली उन्मूलन अभियान के तहत नक्सली बुज्जी उर्फ जननी ने बुधवार को कांकेर जिले के अंतागढ़ पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया. बुज्जी के ऊपर 8 लाख रुपये का इनाम था. सरेंडर करने पर छत्तीसगढ़ पुलिस (Chattisgarh Police) की ओर से बुज्जी को 10 हजार रुपये का नकद इनाम भी दिया गया है. पुलिस ने बताया कि बुज्जी के पति भी नक्सली थे और उन्होने 27 सितंबर को आत्मसमर्पण कर दिया था.
नक्सली लोन वर्राटू अभियान से प्रभावित होकर लगातार पुलिस के सामने सरेंडर कर रहे हैं. चलिए आपको इस अभियान के बारे में बताते हैं. दरअसल, लोन वर्राटू एक गोंडी शब्द है. इसका अर्थ होता है ‘घर वापस आइए’. पुलिस ने इस अभियान को ग्रामीणों से जोड़ने की कोशिश की है. साथ ही इसके फायदे के पोस्टर-बैनर और नक्सलियों के नाम ही सूचि गांवों में लगाई गई है. ऐसे में ग्रामीण अपने परिवार के उन लोगों को नक्सली संगठनों से निकालने के लिए पुलिस की मदद करते हैं.
छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में भी दो दिन पहले ही एक महिला नक्सली ने सरेंडर किया था. चैती पोड़ियाम के ऊपर एक लाख रुपये का इनाम था और उसने मंगलवार को छत्तीसगढ़़ शासन की पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर आत्मसमर्पण किया. समर्पण करने पर चैती पोड़ियाम को आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति के तहत 10,000 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी गई.
इससे पहले, दो हफ्ते पूर्व छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में सात नक्सलियों ने सुरक्षा बलों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था. सुकमा के पुलिस अधीक्षक सुनील शर्मा ने कहा था कि राज्य सरकार की पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर उन्होंने हथियार डाल दिए. अधिकारी ने बताया कि सात मडकाम मासा, मांडवी हिरमा, मडकाम भीमा, मडकम बंदी, मडकम नंदा, सोदी जोगा और लछिंदर नक्सली गतिविधियों की कई घटनाओं में शामिल थे. उन्होंने कहा कि सीआरपीएफ की 219वीं बटालियन की खुफिया इकाई ने इन माओवादियों के आत्मसमर्पण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.