अकसर देखा जाता है कि पूजा करते समय अचानक से व्यक्ति के मन में अनपटे से विचार आने लगते हैं. कई बार व्यक्ति भगवान की भक्ति करते-करते कहीं और ही खो जाता है. या फिर कई बार व्यक्ति के मन में गंदे विचार आ जाते हैं, जो व्यक्ति की भक्ति में विघ्न डालने का काम करते हैं. ऐसा होने पर आपका ध्यान भगवान से हट कर भटक जाता है.
अगर आपके साथ भी ऐसा होता है, तो घबराने की जरूरत नहीं. ये लगभग हर व्यक्ति के साथ ही होता है. ये अटपटे से विचार हमें दिनभर परेशान करते रहते हैं आखिर पूजा के समय ही दिमाग में ये दृश्य आंखों के सामने क्यों आता है. आखिर इसका क्या मतलब है. तो चलिए जानते हैं अगर ऐसा होता है, तो उस समय क्या करना चाहिए. और ये विचार आखिर आते ही क्यों है.
ज्योतिषीयों का मानना है कि व्यक्ति के दो मन होते हैं. एक शुद्ध मन और दूसरा अशुद्ध मन. अशुद्ध मन होने पर व्यक्ति के मन में कामनाएं उत्पन्न होने लग जाती है. वहीं, कामनाओं रहित मन को शुद्ध मन माना जाता है. मान्यता है कि अगर व्यक्ति शुद्ध मन के साथ भगवान की भक्ति करता है, तो उसे ज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति होती है. वहीं, अगर पूजा के समय किसी व्यक्ति को मन में गंदे विचार आते हैं, तो घबराएं नहीं बल्कि उन्हें आने देना चाहिए.
ज्योतिष जानकार बताते हैं कि जिस तरह नल चलाने पर शुरुआत में पहले गंदा पानी बाहर आता है, उसी प्रकार भगवान की भक्ति करते समय अगर अनटपटे विचार आते हैं, तो ये मन की गंदगी बाहर निकालते हैं. जिस प्रकार नल से गंदगी निकलने के बाद शुद्ध पानी आना शुरू होता है, उसी प्रकार मन से गंदगी निकलने के बाद शुद्ध विचार आने शुरू होते हैं.
कई बार ढेरों उपब्धियां पाने के बाद भी व्यक्ति का मन शुद्ध नहीं हो पाता. और उसके मन में काम भावना जागृत होती है. काम, क्रोध, लाभ और मोह ऐसे भाव हैं, जो मन में कभी भी उत्पन्न हो सकते हैं. इसलिए पूजा करते समय अगर ऐसा कुछ आपके दिमाग में भी आता है तो उसे आने दें और अपनी पूजा जारी रखें. बस इसके लिए अपने मन को नियंत्रण में रखना जरूरी है.