ग्वालियर। माधुर्य एवं सौंदर्य की देवी महालक्ष्मी (Mahalaxmi) की पूजा इस वर्ष 24 अक्टूबर को होगी। प्रदोष काल और निशिथ काल (Pradosh Kaal and Nishith Kaal) व्यापिनी अमावस्या (new moon) मैं यह पर्व मनेगा। बरसों बाद इस बार चित्रा नक्षत्र से युक्त दीपमाला पढ़ रही है। जो समस्त राष्ट्र और समाज के लिए सुख समृद्धि लाने वाली सिद्ध होगी। दीपावली महापर्व में प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजन का सर्वाधिक महत्व होता है। प्रदोष काल गृहस्थियो और व्यापारियों के लिए लक्ष्मी पूजन के लिए विशेष उपयुक्त माना जाता है।
बालाजी धाम काली माता मंदिर के ज्योतिषाचार्य डॉ. सतीश सोनी के अनुसार सौरमंडल में ग्रहों का भ्रमण और ग्रहों की चाल से इस बार नरक चतुर्दशी यानी छोटी दीपावली और बड़ी दीपावली एक साथ मनाई जाएगी। 23 अक्टूबर की शाम 6.04 से चतुर्दशी प्रारंभ होगी। जो अगले दिन 24 अक्टूबर को शाम 5.27 पर समाप्त होगी। ऐसे में उदय तिथि के आधार पर 24 की शाम 5.27 तक रूप चतुर्दशी का पर्व मनेगा। और उसके बाद शाम 5.28 से अमावस्या तिथि प्रारंभ होगी।जो 25 अक्टूबर की शाम 4.19 तक रहेगी। चूकिं 25 को सूर्य ग्रहण का साया होने के कारण दीपावली पूजन नहीं होगा। इसलिए 24 को ही दीपावली का पर्व मनाया जाएगा।
डॉ. सोनी ने बताया दीपावली के दिन हस्त नक्षत्र और चित्रा नक्षत्र का संयोग बनेगा। इसके साथ ही इस दिन बुध ग्रह अपनी उच्च राशि में विराजमान होंगे। इसके अलावा गुरु, शुक्र और शनि ग्रह भी अपनी स्वराशि में होंगे। इसके साथ ही दीपावली पर मालव्य योग, शश योग , भद्र योग, सुनफा योग, बाशी नामक पंच महा राजयोग इस दीपावली को बेहद शुभ और शक्तिशाली बना रहे हैं।
शुभ चौघाडिय़ा मुहर्त
अमृत: प्रातकाल 6 से 7.३० तक
शुभ: सुबह 9 से 10.३० तक
चर: दोपहर 1.३० से 3 तक
लाभ: दोपहर 3 से 4.३० तक
अमृत: शाम 4.३० से 6 बजे तक
लग्न अनुसार मुहर्त
वृषभ लग्न शाम 7.१४ सग 9.११ तक
सिंह लग्न मध्य रात्रि 1.४२ से 3.५७ तक
वृषिचक लग्न प्रात: 8.३४ से १०.५१ तक
कुंभ लग्न दोपहर 2.३८ से 4.८ तक
गोधूलि प्रदोष बेला धाम 5.५८ से 8.३२ रात्रि तक