ये हैं राम की जन्मभूमि अयोध्या के प्रमुख दर्शनीय स्थल, जहाँ आपको जरूर जाना चाहिए

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अयोध्या: अयोध्या वो धरती जिस पर प्रभु श्री राम का जन्म हुआ भगवान राम कि जन्म स्थली और सरयू नदी के किनारे स्थित अयोध्या देश के सबसे और हिन्दू धर्म के सात पवित्र शहरों जिन्मे अयोध्या, मधुरा, काशी, हरिद्वार, उज्जैन, कांचीपुरम और द्वारका शामिल है। अयोध्या को घाटों और मंदिरों का शहर भी कहा जाता है। क्या आपको पता है अयोध्या मे कुल 5 हजार से भी अधिक छोटे बड़े मंदिर उपस्थित हैं। इसके अलावा यहाँ कई पवित्र घाट हैं जिनमें राम घाट, लक्ष्मण घाट और जानकी घाट प्रमुख हैं। जिसमे स्नान कर आप जाने अनजाने मे किये गए पापों से छुटकारा पा लेते हैं।

अयोध्या का इतिहास करीब 9 हजार साल पुराना है। जो ढेरो मंदिरों और पर्यटन स्थलों को समेटे हुए है। जहाँ जाकर आप हमारी संस्कृति को न केवल करीब से देख सकते हैं। बल्कि खुद के हिन्दू होने पर भी गर्व की अनुभूति करेंगे। जैसा कि मैंने बताया अयोध्या श्री राम की जन्म भूमि के रूप में काफी प्रचलित हैं यहां पर वर्तमान समय में श्रीराम की एक भव्य मंदिर का भी निर्माण हो रहा है, जिसकी वजह से अयोध्या वर्तमान समय में सुर्खियों में बना हुआ है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार बताया जाता है कि अयोध्या को मनू ने बसाया था। अयोध्या में पौराणिक समय में सूर्यवंशी और रघुवंशी राजाओं का राज हुआ करता था। चलिए अब हम जान लेते हैं अयोध्या के कुछ प्रमुख पर्यटन स्थल के बारे में जिन्हें लोगों द्वारा काफी अधिक संख्या में विजिट किया जाता है–

राम जन्मभूमि

राम जन्मभूमि को भगवान राम का जन्मस्थान माना जाता है। भारतीय महाकाव्य रामायण के अनुसार भगवान विष्णु के सातवें अवतार राम के बारे में कहा जाता है कि वे अयोध्या की सरयू नदी के किनारे पले-बढ़े थे। राम जन्मभूमि हिंदू भक्तों के लिए पूजनीय स्थल है। दशकों तक विवादित स्थल होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि पर राम मंदिर बनाने का जिम्मा एक ट्रस्ट को सौंपा था। 5 अगस्त 2020 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर का शिलान्यास किया था।

हनुमान गढ़ी

10 वीं शताब्दी में निर्मित यह हनुमानगढ़ी मंदिर अयोध्या के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक माना जाता है। यह मंदिर एक चोटी पर स्थित हैं, जो कि मुख्य रूप से हनुमान जी को समर्पित एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। इस हनुमानगढ़ी मंदिर को विजिट करने के लिए लोगों को 76 सीढ़ियों से होकर गुजरना पड़ता है। यह हनुमानगढ़ी मंदिर एक प्राकृतिक प्रेमी को भी काफी पसंद आता है क्योंकि इस मंदिर के आसपास का नजारा एवं यहां से दिखने वाला दृश्य काफी खूबसूरत होता है। इस हनुमानगढ़ी मंदिर से लोगों की काफी मनते भी जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि यहां पर सच्चे मन से जाने पर आपकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।

कनक भवन

कनक भवन अयोध्या का एक प्रमुख धार्मिक महत्व रखने वाला दर्शनीय स्थल है। इस दर्शनीय स्थल के बारे में बताया जाता है कि यह यहां पर एक अन्य मंदिर हुआ करता था जिसे रामायण काल से जोड़ कर बताया जाता है की माता कैकेयी ने राम के विवाह के पश्चात सीता को दिया था। इस मंदिर को कई सालों के पश्चात पुनः निर्मित भी करवाया गया था। इसकी वास्तुकला लोगों को काफी अद्भुत लगती है जिसकी वजह से इसकी ओर लोग काफी अधिक संख्या में खींचे चले आते हैं।

नागेश्वर नाथ मंदिर

राम नगरी अयोध्या की पहचान सरयू की अविरल धारा के समीप भगवान शिव का यह शिवालय नागेश्वरनाथ असंख्य शिवभक्तों की आस्था एवं श्रद्धा का केंद्र है। मान्यता के अनुसार श्रावण मास में भगवान का अभिषेक करने से भक्त सभी पापों से मुक्त हो जाता है। मलमास, शिवरात्रि में शिवालय में भगवान शिव के पूजन एवं अभिषेक से भक्त की सभी कामनाऐं पूर्ण हो जाती है। यह देश के 108 ज्योतिर्लिंग में से एक है। अयोध्या तीर्थ की परिक्रमा सरयूतट से आरंभ होती है, जिसके बाद दूसरा पड़ाव यह मंदिर होता है। सरयू स्नान कर श्रद्धालु उसके जल से नागेश्वर नाथ का अभिषेक करते हैं।

गुलाब बारी

गुलाब बारी अयोध्या के नजदीकी फैजाबाद में स्थित एक स्मारक है, जिसे नवाब शुजा उद दौला का मकबरा के रूप में भी जाना जाता है। यह स्थान एक प्राकृतिक प्रेमी को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए काफी है क्योंकि यहां पर चारों तरफ हरा-भरा खूबसूरत वातावरण और पानी के फुहारे से सुशोभित देखने में काफी ज्यादा आकर्षक लगता है। आपको भी अयोध्या यात्रा के दौरान इस आकर्षक अस्थल को अवश्य विजिट करना चाहिए।

त्रेता के ठाकुर

त्रेता के ठाकुर के बारे में बताया जाता है कि अयोध्या में स्थित यह वही मंदिर है, जहां पर श्री राम ने अश्वमेघ यज्ञ किया था। सरजू नदी के तट पर स्थित यह प्राचीन मंदिर भगवान राम से जुड़ी हुई है बताया जाता है कि प्राचीन समय के दौरान काले रेत के पत्थर से बनी भगवान राम की मूर्ति यहीं पर रखी गई है। अयोध्या ट्रिप के दौरान आपको इस पवित्र धार्मिक स्थल की दर्शन करने अवश्य ही जाना चाहिए।

सीता की रसोई मंदिर

सीता की रसोई जैसे कि नाम से ही प्रतीत होता है कि यह कोई रसोई होगा लेकिन यह कोई रसोई नहीं है बल्कि एक मंदिर है। यह मंदिर राम जन्मभूमि के उत्तर पश्चिम दिशा में स्थित है। इस सीता की रसोई मंदिर में भगवान राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न के साथ-साथ इन सभी की पत्नियों के प्रतिमा भी देखी जा सकती है। यह स्थल भी अयोध्या ट्रिप के दौरान लोगों द्वारा विजिट किया जाने वाला प्रमुख आकर्षण में से एक है।

छोटी छावनी

छोटी छावनी को वाल्मीकि भवन या मणिरामदास छावनी के रूप में भी जाना जाता है। छोटी छावनी को पूरी तरह से सफेद संगमरमर से बनाया गया है। यह भवन इतना खूबसूरत है कि लोग इसकी सुंदरता निहारते ही रह जाते हैं।

 

मोती महल
मोती महल अयोध्या से कुछ दूरी पर स्थित पर्यटकों द्वारा काफी अधिक संख्या में विजिट किया जाने वाला एक बेहद आकर्षक संरचना हैं। मोतीमहल को स्वर्ण पैलेस के रूप में भी जाना जाता है। इस मोती महल का निर्माण 18 वीं शताब्दी के दौरान किया गया था। इस मोती महल की संरचना एवं इसके आसपास के खूबसूरत वातावरण पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए काफी हैं। यह जगह एक प्राकृतिक प्रेमी को अवश्य पसंद आना चाहिए।

दशरथ भवन
दशरथ भवन अयोध्या में स्थित अयोध्या का एक प्रमुख स्थल है। बताया जाता है कि यही राजा दशरथ का मूल निवास स्थान है। इसी जगह पर श्री राम और उनके सभी भाइयों का बचपन बीता है। इस दशरथ भवन का प्रवेश द्वार काफी बड़ा एवं रंगीन हैं। इस दशरथ भवन में भगवान श्री राम, लक्ष्मण और सीता की प्रतिमा को भी स्थापित किया गया है।

बड़ी देवकाली देवी मंदिर

राम नगरी अयोध्या में देवकाली देवी मंदिर का भव्य स्थान है। इस मंदिर के बारे में बताया जाता है कि यह श्रीरम की कुलदेवी का मंदिर है। देवकाली देवी मंदिर लोगों के बीच काफी प्रमुख हैं। यहां पर हर साल श्रद्धालु काफी अधिक संख्या में आया करते हैं। इस मंदिर से जुड़ी ऐसी मान्यता है कि यहां पर कोई भी व्यक्ति आने के उपरांत खाली हाथ नहीं जाता। भगवान राम की देवकाली देवी अपने हर भक्तों की मुराद पूरी करती हैं। रामनवमी के दौरान यहां पर श्रद्धालुओं की संख्या काफी बढ़ जाती है।

तुलसी स्मारक भवन संग्रहालय

तुलसी स्मारक भवन संग्रहालय का निर्माण 1969 ईस्वी के दौरान कवि तुलसीदास की स्मृति में स्थापित किया गया था। लोगों की ऐसी मान्यता है कि तुलसीदास जी यहीं पर बैठकर रामायण लिखे थे। यही पर एक रिसर्च इंटीट्यूट चलता है, जिसे अयोध्‍या शोध संस्‍थान कहा जाता है। यहां पर एक बड़ी सी लाइब्रेरी भी है जहां पर कई इतिहासकार और विद्वानों द्वारा लिखी गई किताबें भी रखी गई है।

मणी पर्वत

मणी पर्वत को भी धार्मिक रूप से काफी महत्व दिया जाता है। बताया जाता है कि रामायण काल के दौरान जब भगवान श्रीराम का छोटे भाई लक्ष्मण युद्ध के दौरान घायल हुए थे, तो उन्हें संजीवनी बूटी की जरूरत थी और हनुमान जी संजीवनी बूटी वाला जिस पर्वत को उठा कर ले जा रहे थे उसी पर्वत की एक छोटा सा हीसा यहां पर गिरा था। मोनी पर्वत की ऊंचाई 75 फीट बताई जाती है। यह पर्वत कई मंदिरों का घर भी है।

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