फ्लैट खरीदारों की बढ़ी बेचैनी, नोएडा के बिल्डरों से संबंधित उच्चतम न्यायालय ने दिया ये आदेश

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मुंबई: उच्चतम न्यायालय ने 2020 का अपना वह आदेश वापस ले लिया है, जिसमें नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरणों की बकाया राशि का भुगतान के मामलों में बिल्डरों के लिए कम ब्याज दर निर्धारित की गई थी। इस फैसले से अब फ्लैट खरीदारों में बेचैनी बढ़ गई है। फ्लैट खरीदारों को आशंका है की बिल्डर प्राधिकरण की बकाया रकम देने में आनाकानी करेंगे, और इसके चलते अपनी पूरी रकम दे चुके खरीदारों के फ्लैटों की रजिस्ट्री नहीं होगी। अपने फ्लैट की पूरी कीमत चुकाने के बाद भी मालिकाना हक न मिल पाने से खरीदारों में गुस्सा बढ़ता जा रहा है। फ्लैट ऑनर्स महासंघ ने रजिस्ट्री के लिए तीनों प्राधिकरणों के खिलाफ कार रैली निकालने की तैयारी की है। महासंघ के संस्थापक एडवोकेट नवीन दुबे ने बताया कि यहां के नोएडा, ग्रेटर नोएडा तथा यमुना विकास प्राधिकरण क्षेत्रों में फ्लैट की रजिस्ट्री नहीं हो पा रही है।

प्राधिकरण का बिल्डरों पर बकाया है। उन्होंने कहा,”खरीदार अपने फ्लैट की पूरी कीमत दे चुके हैं, लेकिन फ्लैट की रजिस्ट्री नहीं हो रही। इसको लेकर पिछले लंबे समय से दिक्कत चली आ रही है। हाल ही में आए आदेश के बाद अब इस परेशानी के और अधिक बढ़ने की आशंका है, जिसको देखते हुए तय किया गया है कि रजिस्ट्री कराने की मांग को लेकर एक बार फिर से आवाज बुलंद की जाए।” दुबे ने कहा कि इसके लिए सोशल मीडिया पर अभियान चलाया गया है। रविवार को इस संबंध में एक बैठक भी आयोजित की गई है, जिसमें कार रैली की तिथि की घोषणा की जाएगी। उन्होंने कहा कि नोएडा एक्सटेंशन, ग्रेटर नोएडा और सेवन एक्स सोसाइटी से तीन रैलियां निकलेंगी। तीनों रैली एक साथ सूरजपुर स्थित कलेक्ट्रेट में पहुंचेंगी और वहां पर अपनी मांगों से संबंधित ज्ञापन सौंपा जाएगा। इस बीच, उत्तर प्रदेश के औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल नंदी ने मीडिया को जारी एक बयान में कहा है कि नोएडा ,ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण क्षेत्र के फ्लैट खरीदार उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद घबराए नहीं।

उन्होंने कहा कि सरकार के लिए खरीदारों और निवेशकों के हित सर्वोपरि है। फ्लैट खरीदारों की रजिस्ट्री करने के लिए प्रदेश सरकार हर संभव कदम उठाएगी। नंदी ने कहा कि सरकार ने अभी तक बिल्डर्स को लगातार कई मौके दिए हैं। कोविड-19 काल में जीरो पीरियड का लाभ दिया गया, ब्याज भी माफ किया गया, इतनी रियायत देने के बाद भी बिल्डर बकाया नहीं दे रहे थे। उन्होंने कहा कि बिल्डरों पर नोएडा प्राधिकरण की लगभग 20 हजार करोड़ रुपये और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की लगभग 9,190 करोड़ रुपये देनदारी है।

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