30 की उम्र के बाद महिलाओं में कई स्वास्थ्य को लेकर कई तरह की बीमारियां होने लगती है। महिलाएं अपने कामकाज में इतनी लीन हो जाती हैं कि उन्हें अपनी सेहत की ध्यान रखने की फिक्र ही नहीं होती है। चाहें महिला कामकाजी हो या घर में रहने वाली हो काम में खुद को बहुत व्यस्त रखती हैं। ऐसी में एक अहम सवाल उठता है कि आखिर फिर वह कब अपनी सेहत का ध्यान रखेंगी। महिलाओं के शरीर में हार्मोन के बदलाव तेजी से और हर महीने होते हैं। जिसके कारण सर में दर्द की समस्या हो सकती है। यह केमिकल दिमाग में रहते हैं। जब भी इस केमिकलों की कमी हो जाती है तो हमारे शरीर इसका संकेत दिमाग में तेज दर्द के जरिए दिखाता है।
मेनोपॉज और पेरीमेनोपॉज
मेनोपॉज और पेरीमोनोपॉज शरीर में हार्मोन के लेवर को कम करने में मदद करता है। जिसके कारण कई महिलाओं तेज सिर दर्द जैसी समस्याएं होने लगती है। मोनोपॉज तक आते-आते हर लगभग हर महिला को माइग्रेन की समस्या होने लगती है।
मैन्स्ट्रुअल साइकल
मैन्स्ट्रुअल के कुछ समय पहले से ही शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का लेवल कम हो जाने की वजह से सिरदर्द होने लगता है।
हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी
इस थेरेपी का इस्तेमाल महिलाएं शरीर में हार्मोन को नियंत्रित करने के लिए करती हैं। लेकिन कई बार इस थेरेपी से हार्मोन का स्तर काफी कम हो जाता है। जिसके कारण महिलाओं के शरीर में माइग्रेन जैसी परेशानियां होने लगती हैं।
प्रेग्नेंसी
प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं के शरीर में कई हार्मोन के बदलाव होते हैं। इस अवस्था में शरीर का एस्ट्रोजन का लेवर बढ़ जाता है। जिस कारण महिलों में सिर दर्द जैसी समस्या होने का खतरा भी कम हो जाता है। बच्चें के जन्म के बाद महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन का लेवर कम हो जाता है।