नई दिल्ली: पेंशन पर व्यय हाल के वर्षों में केंद्र और राज्यों के प्रमुख खर्चों में से एक के रूप में उभरा है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, यह 2019-20 के दौरान केंद्र सरकार व गुजरात समेत तीन राज्यों द्वारा ‘वेतन और मजदूरी’ पर किए खर्च से भी अधिक था. भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) के आंकड़ों के अनुसार, केंद्र ने कुल कमीटेड एक्सपेंडिचर 9.78 लाख करोड़ रुपये था. इसमें से ‘वेतन और मजदूरी’ पर 1.39 लाख करोड़ रुपये, पेंशन पर 1.83 लाख रुपये और अन्य ब्याज भुगतान व कर्ज चुकाने पर 6.55 लाख करोड़ रुपये खर्च किए गए.
केंद्र का कुल कमीटेड एक्सपेंडिचर 2019-20 में उसके कुल राजस्व व्यय 26.15 लाख करोड़ रुपये का 37 प्रतिशत था. कैग की रिपोर्ट के अनुसार, कमीटेड एक्सपेंडिचर का 67 प्रतिशत हिस्सा सरकार ने ब्याज भुगतान और कर्ज की भरपाई में किया. वहीं, पेंशन पर 19 फीसदी और वेतन पर 14 फीसदी खर्च किया गया. इससे साफ है कि पेंशन पर वेतन और मजदूरी से अधिक खर्च किया जा रहा है. रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र का पेंशन बिल 2019-20 में वेतन और मजदूरी पर उसके खर्च का 132 प्रतिशत था. यह 2020 में भारत में कोविड-19 के प्रकोप से ठीक पहले था.