मैनपुरी में जीत ने मिटा दी चाचा-भतीजे की दूरियां

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लखनऊ । मैनपुरी के उपचुनाव में जहां अखिलेश को मुलायम की विरासत संभालने में कामयाबी दिलाई। वहीं चाचा भतीजों के बीच बनी दूरी को इस उपचुनाव ने मिटा दी। जानकारों की मानें तो सपा प्रत्याशी डिंपल यादव को अपार जनसमर्थन मिलने के बाद समाजवादी पार्टी और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का आपस में विलय हो गया है। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने यह जानकारी खुद दी है।

प्रसपा का सपा में विलय करने की घोषणा पर शिवपाल ने कहा, “मेरी गाड़ी में अब सपा का झंडा रहेगा। मुझे सही समय का इंतजार था। परिवार और जनता की मांग अब पूरी हो गई है।” उन्होंने कहा कि मैनपुरी उपचुनाव में सपा की जीत भाजपा के लिए कड़ा संदेश है।

शिवपाल सिंह यादव मैनपुरी में डिंपल यादव की जीत के सूत्रधार रहे हैं। उन्होंने कई सभाएं की और बहू डिंपल को जिताने की जनता से अपील की थी। डिंपल यादव ने दो लाख से भी ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की है।

समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के दिवंगत होने के बाद शिवपाल और अखिलेश के बीच की खाई कुछ कम होना शुरू हुई। मुलायम के निधन के बाद रिक्त हुई मैनपुरी लोकसभा सीट से जब सपा ने डिंपल को प्रत्याशी बनाया तो अखिलेश ने चाचा शिवपाल से भी समर्थन मांगा। बहू के लिए शिवपाल ने मैनपुरी उपचुनाव के दौरान घूम-घूम कर प्रचार भी किया। आज जब मतगणना शुरू हुई तो जसवंत नगर विधानसभा क्षेत्र से डिंपल यादव को बड़ी बढ़त मिली। इसके बाद शिवपाल ने जनता का धन्यवाद भी किया।

ज्ञात हो कि समाजवादी पार्टी में 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले कलह शुरू हो गई थी और पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शिवपाल सिंह को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। इसके बाद शिवपाल सिंह यादव ने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का गठन किया था। लंबे शीत युद्ध के बाद दोनो एक बार 2022 विधानसभा के चुनाव में एक बार मिलकर चुनाव लड़े। चाचा को केवल एक सीट मिली थी सपा को हार का सामना करना पड़ा था।

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