नई दिल्ली: इंसानों के आंतों के माइक्रोबायोम को समझने में वैज्ञानिक प्रगति, पोषण और पेट संबंधी स्वास्थ्य विशेषज्ञों को रोमांचित करता है। शोधकर्ता कहते हैं कि भोजन आंतों के माइक्रोबायोम को इस तरह से प्रभावित करता है जिससे सेहत को लाभ मिलता है और बीमारियों से बचाव होता है लेकिन वे अभी भी इसकी प्रणाली को समझने की कोशिश कर रहे हैं कि यह आखिर कैसे होता है।
बादाम को लेकर हुए नए शोध इस पहेली में एक और कड़ी को जोड़ते हैं। एक क्लीनिकल स्टडी में इस बात का पता लगाया गया कि किस तरह से आंत के सूक्ष्म जीव, ब्यूटायरेट का निर्माण करने के लिये बादाम को तोड़ते हैं यह खास तरह का माइक्रोबायोटा उत्पाद है, जिससे कि सेहत के कई सारे फायदे जुड़े हैं। नए रिसर्च में पाया गया कि बादाम खाने से उल्लेखनीय रूप से ब्यूटायरेट में वृद्धि होती है। यह कोलन में पाया जाने वाला, एक प्रकार का फायदेमंद शॉर्ट-चेन फैटी एसिड (एससीएफए) है। केविन व्हेलन, पीएचडी, आरडी डायटेटिक्स के प्रोफेसर किंग्स कॉलेज लंदन ने कहा जिस तरह से गट माइक्रोबायोटा इंसानी सेहत को प्रभावित करता है वह शॉर्ट-चेन फैटी एसिड के निर्माण की वजह से होता है ये अणु कोलन की कोशिकाओं के लिये ईंधन की तरह काम करते हैं वे आंत में अन्य पोषक तत्चों को अवशोषित करने को नियंत्रित करते हैं और प्रतिरक्षा प्रणाली को संतुलित करने में मदद करते हैं। रितिका समद्दार रीजनल हेड डायटेटिक्स, मैक्स हेल्थकेयर दिल्ली का कहना है एक अच्छे इम्युन सिस्टम और संपूर्ण सेहत के लिये एक सेहतमंद आंत बहुत जरूरी होती है वेलनेस कंसल्टेंट शीला कृष्णस्वामी कहती हैं ब्यूटीयरेट उन शॉर्ट चेन फैटी एसिड में से एक है जोकि आंत की सेहत को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है हेल्थ कोच नेहा रंगलानी कहती हैं स्नैकिंग हमें ऊर्जा देने के लिये महत्वपूर्ण है लेकिन हमें स्नैक्स के रूप में खाने वाले भोजन को चुनने के मामले में सावधान रहने की जरूरत है आंत में सूक्ष्मजीवों द्वारा, तब ब्यूटीरेट का निर्माण होता है, जब वे फाइबर का पाचन करते हैं। यह कोलोनोसाइट्स के लिये ऊर्जा का प्रथम स्रोत है।