नई दिल्ली: शुक्रवार 16 दिसम्बर से खरमास शुरू हो गया है। खरमास पौष मास के साथ ही चलता है। ज्ञातव्य है कि पौष मास 9 दिसंबर से शुरू हो गया है। यह 14 जनवरी संक्रांति तक रहेगा। धार्मिक ग्रंथों और धर्माचार्यों का कहना है कि इस एक माह में भगवान सूर्य और नारायण (विष्णु भगवान) की पूजा करनी चाहिए। साथ ही देवी लक्ष्मी और कुबेर की पूजा भी इन दिनों करनी चाहिए। पौष मास के दौरान खरमास भी रहता है। इसलिए इस दौरान शुभ काम नहीं होते, लेकिन भगवान की उपासना जरूर की जाती है। पौष मास सूर्य उपासना के लिए सबसे अच्छा महीना माना गया है। साथ ही इन दिनों प्रकृति में बहुत से सकारात्मक बदलाव होते हैं। इसलिए पौष महीना जीवन शक्ति और आध्यात्म स्तर बढ़ाने का सही समय भी होता है।
ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि इस महीने सूर्य के साथ देवी लक्ष्मी और कुबेर की उपासना भी विशेष फलदायी मानी जाती है। पौष मास में अगर सूर्य की नियमित उपासना की जाए तो व्यक्ति पूरे साल स्वस्थ और संपन्न रहता है। मान्यता है कि इस महीने सूर्य 11 हजार रश्मियों के साथ व्यक्ति को ऊर्जा और उत्तम सेहत प्रदान करता है। रोज सुबह स्नान करने के बाद सूर्य को तांबे के पात्र से जल में रोली और फूल डालकर अर्पित करें। सूर्य मंत्र ऊँ आदित्याय नम: का जाप करें नमक का सेवन कम से कम करें। ऐसा करने से स्वास्थ्य लाभ मिलेगा। रोज सूर्योदय से पहले उठें और सूर्य पूजा करें।
पौष महीने में हेमंत ऋतु होने से है ठंड बहुत रहती है। इस मौसम और ऋतु को ध्यान में रखकर ही विद्वानों ने खास चीजों के दान की परंपरा बनाई है। ग्रंथों में बताया गया है कि पौष महीने में तिल, गेहूं, गुड़, गर्म कपड़े, तांबे के बर्तन, जूते-चप्पल, कंबल और लाल चीजों का दान करना चाहिए। इन चीजों के दान से कई यज्ञ करने जितना फल मिलता है। पौष महीने में किए दान से उम्र बढ़ती है और जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं।
ग्रंथों में ये भी जिक्र किया गया है कि पौष मास में नमक और घी का दान करना चाहिए। जरुरतमंद लोगों को खाना और कपड़े देने चाहिए। पौष महीने की परंपराएं सेहत के लिए भी फायदेमंद होती हैं। इन दिनों डेली रूटीन और खान-पान में बदलाव करने से बीमारियों से बचा जा सकता है।