नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि 2020 के दंगे की कथित साजिश से जुड़े यूएपीए मामले में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र शरजील इमाम की जमानत अर्जी पर वह नौ जनवरी को सुनवाई करेगा। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की पीठ से जब इमाम के वकील ने इस मामले में स्थगन की मांग की तब पीठ ने सुनवाई टाल दी और विशेष सरकारी वकील को इस बीच इस मामले में आरोपपत्र की प्रति देने का निर्देश दिया। इसी मामले में पहले ‘यूनाइटेड अगेंस्ट हेट’ के संस्थापक खालिद सैफी की जमानत अर्जी पर अपना फैसला सुरक्षा रख चुकी इस अदालत ने उसकी वरिष्ठ वकील को कुछ अतिरिक्त कानूनी बातें रखने की भी अनुमति दी।
सैफी की वकील रेबेका जॉन ने कहा कि जमानत मंजूर करने की संवैधानिक अदालत की शक्ति पर गैर कानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम (यूएपीए) के प्रावधानों की कोई बाधा नहीं है और यह अदालत को देखना है कि क्या संविधान के खंड तृतीय के अंतर्गत आरोपी के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ है या नहीं।
इमाम , सैफी और उमर खालिद समेत अन्य पर उत्तरपूर्व दिल्ली में फरवरी 2020 में हुए दंगे के कथित रूप से साजिशकर्ता होने को लेकर यूएपीए तथा भादंसं के तहत मामला दर्ज किया गया था। इस दंगे में 53 लोगों की जान चली गयी थी जबकि 700 से अधिक अन्य घायल हुए थे। अदालत ने 42 वर्षीय सैफी की जमानत अर्जी पर 12 दिसंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।