नई दिल्ली: गर्माहट के चक्कर में हम कई बार अपनी सेहत के साथ खिलवाड़ कर बैठते हैं. कुछ ऐसा ही मामला जुड़ा है गर्म पानी से नहाने का. अगर आप युवा हैं और आप ज्यादा गर्म पानी से नहाते हैं तो आपके लिए यह खतरनाक हो सकता है.
बदलती जीवनशैली के कारण मर्द अपकी सेहत (Men Health) के साथ काफी समझौता कर रहे हैं. आज के युवाओं में इनफर्टिलिटी (Infertility) एक बड़ी समस्या बनकर उभरी है. एनसीबीआई (NCBI) के एक सर्वे के मुताबिक मौजूदा वक्त में इनफर्टिली के कुल मामलों में से 40-50 फीसदी के पीछे कारण पुरुषों की खराब स्पर्म क्वालिटी है. बाप बनने के लिए स्पर्म की क्वालिटी काफी मायने रखती है.
‘आज अधिकतर लोगों के लिए यह चिंता का विषय है कि कैसे स्पर्म की उचित क्वालिटी और काउंटिंग बरकरार रखी जाए ताकि वे पिता बनने में सक्षम हों.’ उन्होंने बताया कि एक स्पर्म को मैच्योर होने में कम से कम तीन माह का समय लगता है. ऐसे में अगर आप आज हेल्दी लाइफ स्टाइल अपनाते हैं तो तीन माह बाद आपके स्पर्म की गुणवत्ता में सुधार देखा जा सकेगा और उस वक्त आपके पिता बनने की संभावना प्रबल होगी.
इसी लाइफ स्टाइल से जुड़ा है सर्दी के मौसम में गर्म पानी से नहाना. हर किसी को सर्दी में गर्म पानी से नहाने में आनंद आता है लेकिन अगर आप पिता बनने की कोशिश कर रहे हैं तो आपको इससे बचना चाहिए. यूनिवर्सिटी ऑफ अर्कांसास फॉर मेडिकल साइंस (UAMS) में यूरोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. ग्राहम ग्रीन कहते हैं कि गर्म पानी से आपके स्पर्म की गुणवत्ता पर असर पड़ सकता है.
वह पिता बनने की चाहत रखने वाले सभी लोगों को सुझाव देते हैं कि वे बेहद गर्म पानी से दूरी बनाकर रखें. अगर आप बेहद गर्म पानी के संपर्क में रहते हैं तो आपको इसके बाद सामान्य स्पर्म काउंट हासिल करने में कम से कम छह माह का समय लग सकता है. पिता बनने के लिए एक शख्स का स्पर्म काउंट, उसका मूवमेंट, शेप और स्ट्रक्चर सब बहुत जरूरी होता है.
किसी मर्द के स्पर्म की काउंटिंग प्रति मिली लीटर 20 मिलियन से अधिक हो, 50 फीसदी से अधिक स्पर्म मूविंग हो और उसमें से 30 फीसदी से अधिक की शेप और स्ट्रक्चर नॉर्मल हो तो उनके पिता बनने का चांस बढ़ जाता है.
गर्म पानी का असर
स्पर्म पर गर्म पानी के असर को समझने के लिए आपको हमारी बॉडी के मेटाबोलिज्म को समझना होगा. स्पर्म का प्रोडक्शन पुरुष के अंडकोष (testes) में होता है और अंडकोष का तापमान हमारे शरीर के तापमान से करीब चार डिग्री सेल्सियत तक कम हो तभी इसका प्रोडक्शन हो पाता है. हमारे शरीर का नॉर्मल तामपाम 36 डिग्री सेल्सियस होता है.
आपके अंडकोष का तापमान अगर 30-32 डिग्री सेल्सियस हो तो स्पर्म की मात्रा और गुणवत्ता बेहतर होती है. ऐसे में अंडकोष के पास की बॉडी पार्ट्स का तापमान सामान्य बनाए रखने की जरूरत होती है. अगर आप नियमित रूप से गर्म पानी से नहाते हैं तो इसका सीधा असर बॉडी के इस हिस्से पर पड़ता है और यह इस हिस्से के मामूली गर्म होने से भी आपके स्पर्म पर सीधा असर पड़ता है. इनफर्टिलिटी का इलाज करवा रहे लोगों को डॉक्टर इसी कारण ढीले कपड़े पहनने की सलाह देते हैं.