रियाद: दूर से आलीशान लगने वाले अरब जगत की एक बड़ी आबादी गरीबी से जूझ रही है। ‘बड़ी आबादी’ का मतलब यहां करीब 13 करोड़ लोगों से है। हालांकि कुछ अमीर देश इसमें शामिल नहीं हैं। संयुक्त राष्ट्र पश्चिमी एशिया के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग (ईएससीडब्ल्यूए) की ओर से जारी एक सर्वेक्षण में कहा गया है कि अरब क्षेत्र की एक तिहाई आबादी गरीब है। इसमें खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) के देश और लीबिया शामिल नहीं हैं। खाड़ी सहयोग परिषद छह अरब देशों का गठबंधन है जिसमें संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, कुवैत, ओमान, कतर और बहरीन शामिल हैं।
न्यूज एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार सर्वेक्षण में अगले दो वर्षों में गरीबी के स्तर में और वृद्धि की उम्मीद है, जो 2024 में 36 प्रतिशत आबादी तक पहुंच जाएगी। इसके अलावा अरब क्षेत्र ने 2022 में 12 प्रतिशत पर दुनिया की उच्चतम बेरोजगारी दर दर्ज की। सर्वेक्षण में कहा गया है कि 2023 में 11.7 प्रतिशत तक बहुत मामूली कमी हो सकती है, जो कि कोविड-19 के बाद के आर्थिक सुधार प्रयासों के कारण है। यह उम्मीद करता है कि 2023 में क्षेत्र की अर्थव्यवस्था 4.5 प्रतिशत और 2024 में 3.4 प्रतिशत बढ़ेगी।
विदेशी मदद और पर्यटन हुआ कमजोर
सर्वेक्षण के प्रमुख अहमद मोउम्मी ने कहा कि जीसीसी और अन्य तेल-निर्यातक देशों को उच्च ऊर्जा कीमतों से लाभ मिलता रहेगा, जबकि तेल-आयात करने वाले देशों को बढ़ती ऊर्जा लागत, खाद्य आपूर्ति की कमी सहित कई सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। इस क्षेत्र में पर्यटन और अंतर्राष्ट्रीय सहायता प्रवाह दोनों में गिरावट आई है। मोउम्मी ने कहा कि तेल निर्यात करने वाले अरब देशों को समावेशी विकास और सतत विकास उत्पन्न करने वाली परियोजनाओं में निवेश करके अपनी अर्थव्यवस्थाओं को ऊर्जा क्षेत्र से अलग करना चाहिए।