नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जबरन धर्म परिवर्तन को लेकर दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि इस मामले को राजनीतिक रंग नहीं दिया जाना चाहिए। गौर करने वाली बात है कि भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने जबरन धर्म परिवर्तन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने साफ किया है कि इस सुनवाई का मकसद यह देखना नहीं है कि कहां पर गैर कानूनी तरह से धर्म परिवर्तन कराया जा रहा बल्कि यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि इस तरह की घटनाओं में सही कदम उठाए जा रहे हैं या नहीं।
सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से अपील की है कि वह इस मामले में 7 फरवरी तक अपने सुझाव दें। सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस एमआर शाह और सीटी रविकुमार ने इस मामले स्वत: संज्ञान का नाम देने पर सहमति जताई है। अश्विनी कुमार की याचिका का तमिलनाडु सरकार ने विरोध किया था, जिसमे कहा गया था कि धार्मिक परिवर्तन राजनीति से प्रेरित है। दरअसल पिछले साल तमिलनाडु में 17 साल की लड़की ने आत्महत्या कर ली थी, उसके माता-पिता ने आरोप लगाया था कि स्कूल ने उसपर जबरन धर्म परिवर्तन का दबाव बनाया था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक मसलों को लाकर कोर्ट की कार्रवाई को दूसरी ओर ना मोड़ें। हम पूरे देश को लेकर चिंतित हैं। कोर्ट एक राज्य को निशाना बना रहा है यह कहकर इसे राजनीतिक ना बनाएं। अगर जबरन धर्म परिवर्तन आपके राज्य में नहीं हो रहा है तो यह अच्छा है, यह काफी गंभीर मामला है, हमे इसमे अटॉर्नी जनरल की मदद की जरूरत है। वरिष्ठ वकील पी विल्सन तमिलनाडु सरकार की ओर से कोर्ट में पेश हुए, उन्होंने कहा कि धार्मिक परिवर्तन का मामला राज्य का मसला है, याचिकाकर्ता ने राज्य पर कई तरह के आरोप लगाए हैं, वह इस मामले को राजनीतिक रंग दे रहे हैं क्योंकि वह भाजपा के प्रवक्ता हैं।