राम रहीम को 14 महीनों में मिली 133 दिन की पैरोल, कानून भी बदला

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नई दिल्ली: बलात्कार और हत्या के दोषी डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम एक बार फिर 40 दिन की पैरोल पर जेल से बाहर आ गया है। बार-बार पैरोल देने के लिए भाजपा के नेतृत्व वाली हरियाणा की खट्टर सरकार विपक्षी दलों के साथ-साथ सिख समूहों के निशाने पर है। विवादास्पद डेरा प्रमुख को जनवरी 2023 तक 133 दिनों की पैरोल और फरलो छुट्टी दी गई है। राम रहीम को बार-बार पैरोल देने से विवाद भी शुरू हो गए हैं, क्योंकि पैरोल के आधार या तो “खेतों की देखभाल” है या “पालक बेटियों की शादी”।

स्वयंभू गुरु गुरमीत राम रहीम ने पैरोल पर बाहर आने के दौरान ऑनलाइन सत्संगों को संबोधित करना भी शुरू किया। वीडियो जारी किए और चुनाव वाले राज्यों के नेताओं को “धन्य” भी किया। मौजूदा 40 दिन के पैरोल के दौरान डेरा प्रमुख के 25 जनवरी को शाह सतनाम के बरसी समारोह में हिस्सा लेने की संभावना है।

जेल से आजादी के 133 दिन
अगर इस हिसाब से देखा जाए तो सजायाफ्ता रेपिस्ट बाबा अब तक 133 दिन आज़ाद रहा है. यानी राम रहीम को बेशक दो-दो बलात्कार और दो-दो कत्ल के मामलों में 20 साल की कैद से लेकर उम्र कैद तक की डबल सज़ा मिल चुकी हो, लेकिन वो इस साल फरवरी के अंत तक पैरोल और फर्लो की शक्ल में कुल 133 दिनों तक आजादी के मजे ले चुका होगा. गुनहगार होने के बावजूद 133 दिनों तक चैन से खुली हवा में सांस ले चुका होगा. और अपने आश्रमों में बैठ कर 133 दिनों तक ना सिर्फ सारे जरूरी काम-काज इत्मीनान से निपटा चुका होगा, बल्कि बीच-बीच में अपनी गद्दी से समर्थकों को ज्ञान की घुट्टी भी पिला चुका होगा.

अब एक ऐसे मुजरिम, जो एक नहीं कई-कई संगीन गुनाहों में सजायाफ्ता हो और अगर उसे यूं ही बार-बार अजीबोगरीब और बेतुके बहानों से जेल से बाहर आने की आजादी मिलती रहे, तो फिर सवालों का उठना तो लाजिमी है. और राम रहीम के पैरोल पर फिलहाल पंजाब और हरियाणा के सियासी महकमों में यही सवाल उठाए जाने लगे हैं.

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने जताया एतराज
ये पिछले 14 महीनों में चौथा जबकि तीन महीनों में दूसरा मौका है, जब राम रहीम पैरोल पर जेल से बाहर निकला है. इससे पहले वो आखिरी बार 14 अक्टूबर से 25 नवंबर तक 40 दिनों के पेरोल में बाहर रह चुका था. राम रहीम के पैरोल पर शिरोमणि अकाली दल से लेकर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने सख्त ऐतराज जताते हुए ये कहा है कि एक तरफ राम रहीम को बार-बरा पैरोल पर पैरोल मिल रही है, जबकि दूसरी ओर अनगिनत सिख मुजरिम सजा पूरी होने के बावजूद जेलों में अपनी एडियां रगड़ रहे हैं.

हरियाणा सरकार की सफाई
हालांकि हरियाणा के जेल मंत्री रंजीत सिंह चौटाला ने राम रहीम को मिले पैरोल में किसी भी तरह से कानून की अनदेखी करने की बात से इनकार किया है. जेल मंत्री चौटाला का कहना है कि गुरमीत राम रहीम के परिवार ने इस बार उनके पैरोल के लिए सरकार को अर्जी दी थी, जिसे रोहतक के डिविजल कमिश्नर को विचार के लिए सौंप दिया गया था. किसी भी दूसरे कैदी की तरह पैरोल हासिल करना राम रहीम का भी अधिकार है और 3 से पांच साल की सजा पूरी होने के बाद कोई भी कैदी अपना हक मांग सकता है. हालांकि, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने इस बार राम रहीम को पैरोल मिलने की बात से खुद को अंजान बताया है.

बार-बार रेपिस्ट बाबा को कैसे मिलती है पैरोल?
अब सवाल ये है कि आखिर राम रहीम को इतनी आसानी से और बार-बार पैरोल मिलती कैसे है? पैरोल लेने के लिए वो सरकार के सामने क्या-क्या और कैसे-कैसे बहाने पेश करता है? तो इसका जवाब जानने के लिए उसके अब तक के पैरोल के लिए दी गई अर्जियों पर निगाह डालने की जरूरत है. और इन अर्जियों में उसने अब तक जो दलीलें पेश की हैं, उनमें-

– बीमार मां को देखने
– अपनी गोद ली हुई बेटियों की शादी करने
– अपने खेतों की देखभाल करने से लेकर
– पूर्व डेरा प्रमुख शाह सतनाम की जयंती मनाने जैसी वजहें शामिल हैं.

सत्ता पक्ष पर सवाल
कमाल ये है कि हर बार हरियाणा सरकार उसकी हर अर्जी पर बड़े ही फराखदिली से उसे पैरोल देती रही है. राम रहीम के पैरोल को लेकर सरकार पर सवाल इसलिए भी उठाए जाते रहे हैं, क्योंकि पिछले साल राम रहीम को जितनी बार पैरोल मिली, पंजाब या हरियाणा में कोई ना कोई चुनाव जरूर था और ऐसे में सवाल उठाया जाने लगा कि कहीं सत्ताधारी पार्टी चुनावी फायदे के लिए तो राम रहीम को बार-बार पैरोल नहीं दे रही?

चुनाव और पैरोल की टाइमिंग पर भी सवाल
साल 2022 में राम रहीम सबसे ज्यादा कुल 91 दिनों तक पैरोल पर जेल से बाहर रहा. इनमें वो फरवरी में 21 दिनों तक पैरोल पर रहा, तब पंजाब में विधान सभा चुनाव होनेवाले थे. इसके बाद वो फिर से जून में 30 दिनों के लिए बाहर आया तब हरियाणा में नगरपालिका चुनाव थे, इसके बाद वो अक्टूबर में फिर से 40 दिनों के लिए पैरोल पर बाहर आया और तब हरियाणा के आदमपुर और हिमाचल प्रदेश में विधान सभा चुनाव होनेवाले थे. कुल मिलाकर, सरकार अपने-आप को पैरोल से बेशक अलग दिखाती रही, पेरोल के टाइमिंग को लेकर सरकार पर सवाल उठते रहे हैं.

जेल लेने पहुंची थी हनीप्रीत
साल के पहले ही महीने यानी इस बार मिले चालीस दिन के पैरोल के बाद राम रहीम 22 जनवरी को रोहतक के सुनारिया जेल से बाहर निकला और सीधे हरियाणा से उत्तर प्रदेश के अपने बागपत के आश्रम में पहुंचा, जहां वो 25 जनवरी को आश्रम के पूर्व डेरा प्रमुख शाह सतनाम की जयंती समारोह मनाएगा. राम रहीम की गोद ली हुई बेटी हनीप्रीत इस बार भी उसे लेने रोहतक के सुनारिया जेल पहुंची. इधर, वो जेल से बाहर निकला और उधर उसके समर्थकों और चाहनेवालों ने बाबा के बाहर आने की खुशी में अलग-अलग कार्यक्रमों की शुरुआत कर दी.

गुरमीत राम रहीम को मिली पैरोल पर एक नजर
2019-20: गुरमीत राम रहीम की पैरोल की छह अर्जी खारिज की गईं।

2020: गुड़गांव के एक अस्पताल में भर्ती अपनी बीमार मां से मिलने के लिए 24 अक्टूबर को एक दिन की पैरोल दी।
2021: बीमार मां से मिलने के लिए 21 मई को एक दिन का पैरोल दिया।
2022: गुरमीत राम रहीम 91 दिन जेल से बाहर रहा। फरवरी में 21 दिन (पंजाब विधानसभा चुनाव), जून में 30 दिन (हरियाणा नगरपालिका चुनाव) और अक्टूबर में 40 दिन (आदमपुर, हरियाणा और हिमाचल विधानसभा चुनाव में विधानसभा उपचुनाव)।
2023: 40 दिन की पैरोल 21 जनवरी से शुरू होगी। वह 25 जनवरी को पूर्व डेरा प्रमुख की बरसी में हिस्सा लेने सिरसा जाएंगे।

निशाने पर हरियाणा सरकार
राम रहीम को बार-बार पैरोल दिये जाने को लेकर हरियाणा सरकार सिख संगठनों और विपक्षी दलों के सीधे निशाने पर आ गई है। जवाब में सीएम मनोहर लाल खट्टर का कहना है कि वह इस बारे में कुछ नहीं जानते।

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