लखनऊ: मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री रामचंद्र सनातन धर्म के स्तंभ और सनातन जिनके नाम पर जिंदा है। वह हमारे पूजनीय और आराध्य है। वंदनीय प्रातः स्मरणीय पूज्य श्री तुलसीदास महाराज जी को जातिवाद का आरोप लगाना और रामचरितमानस को प्रतिबंध कर देना बोलना और इस ग्रंथ को प्रतिबंधित कर देना जैसे वक्तव्य को पेश करना दर्शाता है कि आपके संस्कार और शिक्षा क्या है। स्वामी प्रसाद मौर्य जी को यह जानना चाहिए जिस समय अंतिम समय आएगा और चार व्यक्ति कंधे पर लेकर चल रहे होंगे। उस समय श्री राम नाम सत्य ही बोला जा रहा होगा।
रामचरितमानस रामचरितमानस के अंदर संस्कार शिक्षा, शिष्टाचार और गृहस्थ आश्रम सुचारु रुप से चलाना से लेकर जीने की सारी क्रियाएं और प्रतिक्रियाओं पर प्रकाश डाला गया है जिनके खुद ही संस्कार अच्छे नहीं है वह मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री रामचंद्र के संस्कारों के विषय में क्या जानेंगे हम स्वामी प्रसाद मौर्य का घोर विरोध करते हैं। उनको मानसिक इलाज की जरूरत है ऐसी स्थिति में उन पर उन्होंने सभी सनातन धर्म प्रेमियों के हृदय को ठेस पहुंचाई उन पर मानहानि का मुकदमा दर्ज होना चाहिए।