लखनऊ : बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि देश के उपेक्षित वर्गों के लिए भारतीय संविधान ही ग्रंथ है। उन्होंने शुक्रवार को ट्वीट कर कहा, “देश में कमजोर व उपेक्षित वर्गों का रामचरितमानस व मनुस्मृति आदि ग्रंथ नहीं, बल्कि भारतीय संविधान है, जिसमें बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर ने इनको शूद्रों की नहीं, बल्कि एससी, एसटी व ओबीसी की संज्ञा दी है। अतः इन्हें शूद्र कहकर सपा इनका अपमान न करे तथा न ही संविधान की अवहेलना करे।”
उन्होंने आगे कहा कि इतना ही नहीं, देश के अन्य राज्यों की तरह यूपी में भी दलितों, आदिवासियों व ओबीसी समाज के शोषण, अन्याय, नाइन्साफी तथा इन वर्गों में जन्मे महान संतों, गुरुओं व महापुरुषों आदि की उपेक्षा एवं तिरस्कार के मामले में कांग्रेस, भाजपा व समाजवादी पार्टी भी कोई किसी से कम नहीं। एक अन्य ट्वीट में बसपा प्रमुख ने सपा पर हमला बोलते हुए कहा, “साथ ही, सपा प्रमुख द्वारा इनकी वकालत करने से पहले उन्हें लखनऊ स्टेट गेस्ट हाउस के दिनांक 2 जून सन् 1995 की घटना को भी याद कर अपने गिरेबान में जरूर झाँककर देखना चाहिए, जब सीएम बनने जा रही एक दलित की बेटी पर सपा सरकार में जानलेवा हमला कराया गया था।”
उन्होंने काह कि वैसे भी यह जगज़ाहिर है कि देश में एससी, एसटी, ओबीसी, मुस्लिम व अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों आदि के आत्म-सम्मान एवं स्वाभिमान की क़द्र बीएसपी में ही हमेशा से निहित व सुरक्षित है, जबकि बाकी पार्टियां इनके वोटों के स्वार्थ की खातिर किस्म-किस्म की नाटकबाजी ही ज्यादा करती रहती हैं।
सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने इस मसले पर फिर से बयान दिया है। उन्होंने शुक्रवार को ट्वीट कर कहा कि देश की समस्त महिलायें व शूद्र समाज यानि आदिवासी, दलित, पिछड़े, जो सभी हिंदू धर्मावलंबी ही हैं तथा जिनकी कुल आबादी 97% है, को तो अपमानित किया ही जा रहा है। गौमांस खाने वालों को हिंदू बनाकर उन्हें भी अपमानित करने का इरादा है क्या ? बोलो, बोलो हसबोले जी।