UP के स्टार के कंधों पर कर्नाटक का भार, उत्तर और पश्चिम से दक्षिण साधने BJP तैयार

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बेंगलुरु: दक्षिण भारत में विस्तार की कोशिशों में जुटी भारतीय जनता पार्टी को अब तक कर्नाटक में ही सफलता मिल सकी है। अब 2023 में पार्टी राज्य में अपनी सत्ता बनाए रखने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। कहा जा रहा है कि भाजपा ने कर्नाटक पर तीन राज्यों में शानदार प्रदर्शन करने वालों को काम पर लगाया है। इनमें केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और मनसुख मांडविया और तमिलनाडु प्रमुख के अन्नामलाई शामिल हैं। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने प्रधान को प्रचार प्रभारी बनाया है। वहीं, मांडविया और अन्नामलाई सह प्रभारी होंगे। पार्टी ने पहले ही चुनावी मैदान में अकेले उतरने का ऐलान कर दिया है। ऐसे में जनता दल सेक्युलर के साथ गठबंधन की चर्चा पर भी विराम लग गया है।

प्रधान UP में कर चुके हैं कमाल
बीते साल ही भाजपा ने अहम राज्य उत्तर प्रदेश में लगातार दूसरी बार सत्ता हासिल की है। कहा जाता है कि प्रधान ने जीत में बड़ी भूमिका निभाई थी। वह पिछड़े वर्गों के बड़े हिस्सों को लामबंद करने में सफल रहे थे। इससे पहले वह बिहार में पार्टी के चुनाव प्रभारी रह चुके हैं। साथ ही पहले उन्हें कर्नाटक और उत्तराखंड में भी प्रभारी का काम सौंपा जा चुका है। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान भी प्रधान नंदीग्राम सीट पर चुनाव प्रभारी रहे थे, जहां भाजपा के शुभेंदु अधिकारी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को मात दी थी।

मांडविया का गुजरात तो अन्नामलाई का तमिलनाडु में जलवा
बीते साल संपन्न हुए गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी। उस दौरान मांडविया ने भाजपा की गुजरात टीम में अहम भूमिका निभाई थी। इधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पार्टी नेताओं को गुजरात मॉडल को दूसरे राज्यों में ले जाने की बात कह चुके हैं।

रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया कि अन्नामलाई की नियुक्ति बेदल खास है। रिपोर्ट के मुताबिक, एक पार्टी नेता ने कहा, ‘अन्नामलाई के नेतृत्व ने तमिलनाडु में भाजपा को सबसे ज्यादा सुनी जाने वाली राजनीतिक आवाज बना दिया है। वह खासतौर से युवाओं समेत कई वर्गों को भाजपा के बारे में बताने में सफल रहे हैं। वह लगातार राज्य में घूमते हैं, पार्टी को बूथ स्तर पर मजबूत करते हैं और एक व्यवस्थित तरीके से अलग-अलग वर्गों से मिलते हैं।’

भाजपा की रणनीति
कर्नाटक में लिंगायत मतदाताओं पर बड़े स्तर पर निर्भर रही भाजपा ने वोक्कलिगा के प्रभाव वाले मैसूर क्षेत्र पर ध्यान लगाने की योजना तैयार की है। पार्टी वोक्कलिगा के बीच असर बढ़ाने की कोशिश में है, जो विधानसभा में 89 विधायक भेजती है। साल 2008 में ओल्ड मैसूर में भाजपा का प्रदर्शन सबसे अच्छा रहा था। पार्टी ने 11 जिलों में केवल 28 सीटें ही जीती थीं।

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