दक्षिण में ‘स्टालिन और केसीआर’ के सामाजिक न्याय अभियान को विकास के मंत्र से टक्कर देने में जुटे प्रधानमंत्री
नई दिल्ली: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने दक्षिण भारत में भाजपा को रोकने के लिए सामाजिक न्याय अभियान का झंडा बुलंद किया हुआ है। स्टालिन ने चेन्नई में एक राष्ट्रीय सेमिनार भी किया। जिसमें सभी विपक्षी दलों के नेताओं को प्रत्यक्ष या वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग माध्यम से मौजूदा भारत में सामाजिक न्याय के परिप्रेक्ष्य में विचार रखने का अवसर दिया गया। जो अप्रत्यक्ष रूप से मोदी सरकार के खिलाफ विपक्षी एकता को मजबूत करने का प्रयास भी माना गया।
विपक्षी दलों के इस अभियान और अगले आम चुनाव में दक्षिण भारत की अहमियत को ध्यान में रखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जवाबी कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। लेकिन दक्षिण भारत में वह इन दोनों से मुकाबले के लिए भाषा, धर्म और जातिगत समीकरण से अलग विकास के मंत्र को लेकर भाजपा की जमीन मजबूत करने के अभियान में जुट गए हैं।
प्रधानमंत्री ने शनिवार को तेलंगाना में सिकंदराबाद से तिरुपति के बीच और तमिलनाडु में चेन्नई से कोयंबटूर के बीच वंदे भारत रेलगाड़ी को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस दौरान उनके साथ रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव और केंद्रीय कला संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी भी मौजूद थे। तेलंगाना में उन्होंने हैदराबाद में बनने वाले एम्स अस्पताल की परियोजना का भी शुभारंभ किया। दोनों ही राज्यों में प्रधानमंत्री ने लोकल हाई स्पीड ट्रेन MMTS, नए राष्ट्रीय राजमार्ग सहित कई अन्य विकास योजनाओं की भी शुरुआत की।
दक्षिण भारत में एक साथ तमिलनाडु और तेलंगाना में विभिन्न परियोजनाओं की बड़े स्तर पर प्रधानमंत्री की ओर से शुरुआत को उनके मिशन 2024 से जोड़कर देखा जा रहा है। दक्षिण भारत के तेलंगाना में 17, तमिलनाडु में 40 और आंध्र प्रदेश में 25 लोकसभा सीट है। इसके अलावा कर्नाटका में 28 और केरल में लोकसभा की 19 सीट है। अगर तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु की लोकसभा सीट को जोड़ दिया जाए तो यह 82 लोकसभा सीट होती है। जबकि इसमें अगर केरल और कर्नाटक की लोकसभा सीट को भी जोड़ दिया जाए तो यहां की कुल लोकसभा सीटों की संख्या 129 हो जाती है।
भाजपा यह चाहती है कि दक्षिण भारत में यहां की कुल सीटों में से कम से कम 15-20% सीटों पर विजय हासिल करे। जिससे आम चुनाव 2024 में अगर उसे उत्तर भारत में सीटों का नुकसान होता है तो उसकी भरपाई दक्षिण भारत से हो पाए। पिछले आम चुनाव में तेलंगाना में भाजपा 4 लोकसभा सीट जीतने में सफल रही थी। जबकि यहां के स्थानीय निकाय चुनाव में वह अपना जोरदार प्रदर्शन करने में कामयाब रही थी। यही वजह है कि उसने तेलंगाना पर अपना खास ध्यान केंद्रित किया है। इसके अलावा वह तमिलनाडू में भी अपना आधार मजबूत करने में जुट गई है।
इसके लिए तमिल संगमम के अलावा कई अन्य योजनाओं को भी भाजपा ने शुरू किया है। दक्षिण भारत में इस समय केवल कर्नाटक में भाजपा की मजबूत उपस्थिति है। उसका प्रयास है कि कर्नाटक के अलावा वह तमिलनाडु , आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में अपना आधार मजबूत करे। जिसका लाभ उसे लोकसभा चुनाव में हासिल हो। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि केरल में वामपंथी इस समय भी काफी मजबूत है। यही वजह है कि भाजपा को वहां पर आने वाले दिनों में भी काफी मेहनत की जरूरत है। लेकिन तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना ऐसे प्रदेश हैं।
जहां पर भाजपा को प्रधानमंत्री की छवि की वजह से अपना विस्तार करने में सहायता मिल सकती है। यही वजह है कि तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु पर ध्यान केंद्रित कर बड़े स्तर पर लोगों को भाजपा से जोड़ने का कार्य किया जा रहा है। तेलंगाना में भाजपा मुख्य विपक्षी दल के रूप में स्थापित हो गई है। वहीं, तमिलनाडु में क्योंकि लोकसभा की सबसे अधिक सीट है।
इस वजह से वहां पर भी भाजपा ने आक्रमक तरीके से अपना विस्तार शुरू कर दिया है। दक्षिणी राज्यों में जाति, धर्म और भाषा के अलावा विकास भी एक बड़ा मुद्दा है। यही वजह है कि भाजपा ने यहां पर लोगों के बीच अपनी उपस्थिति बनाने के लिए विकास के मंत्र को लेकर आगे बढ़ने का काम शुरू किया है। प्रधानमंत्री की पहचान विकास पुरुष के रूप में होती है। ऐसे में उनकी ओर से विकास परियोजनाएं शुरू करने से भाजपा को आम लोगों के बीच अपनी जगह बनाने में काफी मदद हासिल होगी।