डीएम और एडीएम में क्या होता है अंतर, पावर में कौन है शहंशाह? जानें काम करने के तरीके

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नई दिल्ली. डीएम को डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट कहा जाता है जबकि एडीएम को एडिशनल डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट कहा जाता है. ये दोनों पद जिले में सबसे बड़े प्रशासनिक पदों में से एक माने जाते हैं. इनके अंतर्गत पूरे जिले के लॉ एंड ऑर्डर से लेकर रेवेन्यू कलेक्शन से संबंधित तमाम कार्य आते हैं. DM या डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट भारतीय प्रशासनिक सेवा का अधिकारी होता है. भारतीय प्रशासनिक सेवा के संगठन से सरकार द्वारा विभिन्न राज्यों या जिलों में अधिकारियों की पदस्थापना की जाती है. ADM एडिशनल या असिस्टेंट डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट होता है. यह पद मुख्य रूप से डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट की सहायता के लिए बनाई गई थी. ADM Officer हमेशा जिलाधिकारी या DM के नियंत्रण में काम करते हैं. उनकी जिम्मेदारी दैनिक गतिविधियों में DM की सहायता करना है.

DM यानी डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट जिले में कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिम्मेदार होता है. वह आपराधिक प्रशासन का प्रमुख होता है और जिले के सभी एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेटों की देखरेख करता है और पुलिस के कार्यों को नियंत्रित और निर्देशित करता है. जिले में जेलों और लॉक-अप के प्रशासन पर उनके पास सुपरविजन करने का अधिकार होता है. डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के इन ड्यूटी के अलावा वह विस्थापित व्यक्ति अधिनियम, 1954 के तहत डिप्टी कस्टोडियन के रूप में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. DM नागरिक प्रशासन का एक्जीक्यूटिव प्रमुख है, जिले के सभी विभाग, जिनके पास अन्यथा अपने स्वयं के अधिकारी होते हैं, मार्गदर्शन और समन्वय के लिए उसकी ओर देखते हैं. वह नगरपालिका समितियों, बाजार समितियों, पंचायतों, पंचायत समितियों, सामुदायिक विकास खंडों और जिला परिषद के प्रशासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. वह ग्रामीण विकास योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए भी जिम्मेदार है. इसके अलावा, वह जिला निर्वाचन अधिकारी के रूप में, समय-समय पर जिले में होने वाले सभी चुनावों के शांतिपूर्ण और व्यवस्थित संचालन के लिए जिम्मेदार होता है. अपने जिले के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र/निर्वाचन क्षेत्रों के चुनाव के लिए वह रिटर्निंग ऑफिसर के रूप में कार्य करता है.

ADM यानी एडिशनल डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट का पद डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के दैनिक कार्यों में सहायता के लिए बनाया गया है. एडिशनल डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को नियमों के तहत जिला मजिस्ट्रेट के समान अधिकार प्राप्त हैं. इसके अलावा DM की अनुपस्थिति में वह DM के रूप में पदनाम रखता है और DM के समान भत्ते मिलते हैं. जिलाधिकारी के उपस्थित न होने पर समस्त गतिविधियों की देखरेख एडिशनल डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट द्वारा की जाती है. DM के अलावा एडिशनल डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के पास निर्णय लेने का पूर्ण अधिकार होता है. ADM ऑफिसर डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को उनके कार्यों में सहयोग करने के लिए भी जिम्मेदार होता है. ADM द्वारा सभी प्रकार के सर्टिफिकेट, जैसे विवाह, निवास, और अन्य सर्टिफिकेट जारी किए जाते हैं. इसके अलावा बाल मजदूरी के मामलों की जांच करना, दोषी होने पर कार्रवाई करना और अपराधी को सजा देना ADM की विशेष जिम्मेदारियों में से एक है. कई जिला कार्यालयों, सब डिवीजनलों और तहसीलों की देखरेख के साथ-साथ ADM राज्य की कानूनी व्यवस्था को बनाए रखने के लिए भी जिम्मेदार होता है. भूमि पंजीकरण और संपत्ति के कागजात सहित भूमि से संबंधित सभी गतिविधियां ADM के दायरे में आती हैं.

 

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