क्यों ताइवान को अपना हिस्सा मानता है चीन? जानें क्या है फारमोसा द्वीप की कहानी

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ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग वेन के अमेरिका दौरे से चीन इस कदर बौखला गया कि उसने ताइवान को सीधे हमले की चेतावनी देनी शुरू कर दी है. हाल ही में चीन ने तीन दिनों तक ताइवान की सीमा पर युद्धाभ्यास किया. ताइवान का दावा है कि उसने सैन्य अभ्यास के तीसरे दिन 12 चीनी युद्धपोतों और 91 जेट्स को इंटरसेप्ट किया.

एक तरफ चीन, ताइवान पर दबाव बना रहा है तो वहीं ताइवान को अमेरिका का साथ मिलता दिख रहा है. चीन का युद्धाभ्यास खत्म होते ही अमेरिका ने फिलीपींस के पास अपना सैन्य अभ्यास शुरू कर दिया है. ताइवान और चीन के बीच जारी इन तल्खियों ने युद्ध की आशंका को और मजबूत कर दिया है. तो आइए जानते हैं कि क्यों चीन, ताइवान को अपना हिस्सा मानता है? ताइवान (Taiwan) को पहले फॉरमोसा का द्वीप (Island of Formosa) कहा जाता था. 1949 से चीन इस द्वीप पर कब्जा करना चाहता है. ताइवान के खिलाफ मिलिट्री एक्शन लेने की तैयारी चीन कई दशकों से कर रहा है.

चीन और ताइवान के बीच चल रही तनानती नई नहीं है. दोनों के बीच यह रार 1949 में च्यांग काई-शेक के वक्त से चली आ रही है. दरअसल, ताइवान का असली नाम रिपब्‍ल‍िक ऑफ चाइना है. इसकी सांस्‍कृतिक पहचान चीन से काफी अलग और बेहद मजबूत है. वहीं चीन का नाम पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना है. इस तरह से दोनों ही ‘रिपब्लिक ऑफ चाइना’ और ‘पीपल्‍स रिपब्‍ल‍कि ऑफ चाइना’ एक-दूसरे की संप्रभुता को मान्यता नहीं देते हैं.

दोनों ही देश खुद को आधिकारिक चीन मानते हुए मेनलैंड चाइना और ताइवान द्वीप का आधिकारिक प्रतिनिधि होने का दावा करते रहे हैं. कागजी दस्‍तावेजों में दोनों के नाम में चाइना जुड़ा हुआ है. वहीं व्यावहारिक तौर पर ताइवान द्वीप 1950 से ही स्वतंत्र रहा है. मगर चीन इसे अपना विद्रोही राज्य मानता है.

जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर चाइनीज एंड साउथ ईस्ट एशियन स्टडीज में असिस्टेंट प्रोफेसर गीता कोचर ने एक मीडिया हाउस को दिए इंटरव्यू में बताया था कि चीन में साल 1644 में चिंग वंश सत्ता में आया और उसने चीन का एकीकरण किया.

साल 1895 में चिंग ने ताइवान द्वीप को जापानी साम्राज्य को सौंप दिया. मगर 1911 में चिन्हाय क्रांति हुई, जिसमें चिंग वंश को सत्ता से हटना पड़ा. इसके बाद चीन में कॉमिंगतांग की सरकार बनी. और तब जितने भी इलाके चिंग राजवंश के अधीन थे, वे कॉमिंगतांग सरकार को मिल गए. कॉमिंगतांग सरकार ने ही चीन का आधिकारिक नाम रिपब्लिक ऑफ चाइना किया था.

चीन और ताइवान की रार साल 1949 से शुरू हुई. तब चीन में हुए गृहयुद्ध में माओत्से तुंग के नेतृत्व में कम्युनिस्टों ने चियांग काई शेक के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कॉमिंगतांग पार्टी को हरा दिया. चीन में सत्ता में आ चुके कम्युनिस्टों की नौसेना की ताकत न के बराबर थी. यही कारण था कि माओ की सेना समंदर पार करके ताइवान पर नियंत्रण नहीं कर सकी.

जेएनयू के एसोसिएट प्रोफेसर रवि प्रसाद नारायण ने एक इंटव्यू में बताया कि ताइवान के लिए 1971 के बाद से चीजें बदलने लगीं. अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने चीन को पहचान दी और कहा कि ताइवान को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से हटना होगा. 1971 से चीन यूएन सिक्योरिटी काउंसिल का हिस्सा हो गया और 1979 में ताइवान की यूएन से आधिकारिक मान्यता खत्म हो गई. तभी से ताइवान का पतन शुरू हो गया.

1949 में चीन में दो दशक तक चले गृहयुद्ध के आखिर में माओत्से तुंग ने पूरे चीन पर अपना अधिकार जमा लिया. विरोधी राष्ट्रवादी पार्टी के नेता और समर्थक भागकर ताइवान आ गए. इसके बाद ताइवान को अमेरिका का संरक्षण मिला. 1950 में अमेरिकी राष्ट्रपति ने जंगी जहाज ‘सातवां बेड़ा’ चीन और ताइवान के बीच समुद्र में पहरेदारी के लिए भेज दिया. शुरुआत में ताइवान संयुक्त राष्ट्रसंघ का मेंबर था और चीन नहीं. लेकिन जब चीन ने अमेरिका के साथ अपने संबंध बेहतर करना शूरू कर दिए और दुनिया में चीन का दबदबा भी बढ़ने लका तो 1971 में चीन को संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता मिल गई और ताइवान की मेंबरशिप खारिज हो गई. चीन ने ताइवान को अपना राज्य घोषित कर दिया और चीन के दबाव में आकर बाकी देशों ने धीरे-धीरे ताइवान के साथ अपने कूटनीतिक संबंध तोड़ लिए.

> ताइवान सिर्फ 1400 sq माइलस से भी कम के एरिया में फैला हुआ है. उसकी जनसंख्या 23 मिलियन यानी 2.3 करोड़ है. यह द्वीप दक्षिण पूर्वी चीन के तट से करीब 100 मील दूर स्थिति है.

> ताइवान की आधिकारिक मुद्रा New Taiwan Dollar है. वहीं, इस देश की दो राष्ट्रीय भाषाएं हैं. ताइवान में Mandarin, और Hakka बोली जाती है.

> ताइवान के झंडे का डिजाइन सन यात सेन और लू हाओ तुंग ने किया था. ताइवान के झंडे को 1928 में आधिकारिक मान्यता प्राप्त हुई थी. इस झंडे का लाल रंग क्रांतिकारियों के प्रतिनिधित्व को दर्शाता है.

> ताइवान की फिल्मों ने दुनिया भर के फिल्म समारोहों में विभिन्न अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीते हैं. ताइवान के एक निर्देशक आंग ली ने समीक्षकों द्वारा प्रशंसित फिल्मों का निर्देशन किया है. इन फिल्मों में शामिल हैं- क्राउचिंग टाइगर, हिडन ड्रैगन; ईट, ड्रिंक मैन एंड वुमेन, सेंस एंड सेंसिबिलिटी, ब्रोकेबैक माउंटेन और लाइफ ऑफ पाई.

> ताइवान के लोगों की जीवन शैली भी पश्चिम और यूनाइटेड किंगडम के जैसी है. एक खूबसूरत द्वीप होने के साथ-साथ यह अपने इतिहास और सांस्कृतिक तथ्यों के कारण भी जाना जाता है.

> ताइवान एशिया का पहला ऐसा देश है जहां समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता मिली है.

> बुर्ज खलीफा बनने से पहले तक ताइवान की ताइपे 101 बिल्डिंग दुनिया की सबसे ऊंची बिल्डिंग थी.

 

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