गर्मियों के मौसम जोरों पर है और इस मौसम में शरीर को ठंडा रखने के लिए दही का खूब सेवन किया जाता है। इसमें कोई शक नहीं है कि दही खाने से न केवल शरीर को ठंडा रखने बल्कि आंतों के कामकाज में सुधार करने और पाचन तंत्र को दुरुस्त बनाने में भी मदद मिलती है। दही कैल्शियम और प्रोटीन के बेजोड़ स्रोत है और यही वजह है कि इसके नियमित सेवन से हड्डियों और मांसपेशियों स्वस्थ और मजबूत बनाने में मदद मिलती है।
आयुर्वेद में दही खाने के विभिन्न लाभ और तरीके बताए गए हैं। अक्सर देखा गया है कि लोग कभी भी कटोरा भर-भरकर दही खाने बैठ जाते हैं। कुछ लोग तो दही में चीनी, नमक या कटे हुए फल डालकर खाते हैं। बहुत से लोग दही के मिश्रण से बने व्यंजनों का भी आनंद लेते हैं। आयुर्वेद डॉक्टर दीक्षा भावसार के अनुसार, दही खाने के कुछ नियम हैं और इनका पालन नहीं किया गया तो दही आपके पेट में जाकर जहर की तरह काम कर सकता है।
दही खाने के आयुर्वेदिक टिप्स
बहुत से लोग दही के साथ फलों का सेवन करते हैं। आपको बता दें कि दही के साथ फलों के सेवन
से पेट और आंतों का कामकाज बुरी तरह प्रभावित हो सकता है। लंबे समय तक सेवन से चयापचय संबंधी समस्याएं और एलर्जी हो सकती है।
डॉक्टर का मानना है कि दही के साथ चिकन, मटन, या मछली जैसे मांस का सेवन सेहत के लिए खतरनाक है। अक्सर आपने देखा होगा कि चिकन, मटन, या मछली की बहुत से डिश में दही का इस्तेमाल किया जाता है, ध्यान रहे कि यह कॉम्बिनेशन शरीर में विषाक्त पदार्थों का उत्पादन करेगा।
डॉक्टर ने बताया कि दही को कभी भी गरम नहीं करना चाहिए। गर्म करने पर यह अपने गुणों को खो देता है। इसके अलावा मोटापे, कफ, ब्लीडिंग डिसऑर्डर और सूजन की समस्याओं से पीड़ितों को दही खाने से बचना चाहिए।
डॉक्टर के अनुसार, रात के समय दही का सेवन कभी नहीं करना चाहिए। इसके अलावा दही का सेवन रोजाना नहीं करना चाहिए। नियमित रूप से आप केवल छाछ का सेवन कर सकते हैं।
बहुत से लोग बिना सोचे-समझे, कटोरा भर-भरकर और रात में दही खाने की आदत है। आयुर्वेद इन तीनों बातों को गलत मानता है। डॉक्टर ने बताया कि अगर आप दSet featured image
ही खाना चाहते हैं, तो इसे कभी-कभार, दोपहर के समय और कम मात्रा में खाना चाहिए।