किस मामले में अतीक को पहली बार मिली थी उम्रकैद की सजा, क्यों लाया गया था प्रयागराज मेडिकल कॉलेज

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प्रयागराज. गैंगस्टर से नेता बने अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की शनिवार रात यहां एक मेडिकल कॉलेज के पास अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी. गोलीबारी की घटना कैमरे में दर्ज हुई है क्योंकि मेडिकल जांच के लिए पुलिस द्वारा दोनों को अस्पताल ले जाने के दौरान मीडियाकर्मी उनके साथ चल रहे थे. कम से कम दो व्यक्तियों को अहमद और उसके भाई पर करीब से गोली चलाते हुए देखा गया, जो गोली लगने के बाद जमीन पर गिर गए. हालांकि, पुलिस ने जल्द ही तीनों हमलावरों को पकड़ लिया.

सनसनीखेज हत्या के बाद इलाके में तनाव है. अतीक अहमद एवं अशरफ के गोलियों से छलनी शवों को मौके से हटा लिया गया है. दोनों को 2005 के उमेश पाल हत्याकांड के सिलसिले में सुनवाई के लिए यहां लाया गया था. झांसी में 13 अप्रैल को अहमद का बेटा असद और उसका एक साथी पुलिस मुठभेड़ में मारे गये थे. दोनों के शव को शनिवार सुबह दफनाया गया.

13 अप्रैल को ही प्रयागराज के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने उमेश पाल हत्याकांड में नामजद आरोपी तथा माफिया अतीक अहमद और उसके भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ की पांच दिन की पुलिस रिमांड मंजूर की थी. जिला शासकीय अधिवक्ता गुलाब चंद्र अग्रहरि ने यहां जनपद न्यायालय परिसर में संवाददाताओं को बताया था कि उमेश पाल की हत्या के मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) दिनेश गौतम की अदालत ने अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 167 के तहत अतीक अहमद और अशरफ की 13 अप्रैल से 17 अप्रैल तक पुलिस रिमांड स्वीकृत की.

इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख 26 अप्रैल निर्धारित की गई थी. उन्होंने बताया कि अपराध संख्या 114/23 से संबंधित विवेचक द्वारा प्रार्थना पत्र देकर अभियुक्त अतीक और अशरफ को 14 दिन की पुलिस रिमांड में देने का अनुरोध किया गया. अधिवक्ता ने बताया कि इस पर दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने 13 अप्रैल से 17 अप्रैल को शाम पांच बजे तक पुलिस हिरासत में भेजने का आदेश पारित किया था.

आदेश में यह भी कहा गया था कि पुलिस हिरासत में लेने से पूर्व दोनों अभियुक्तों का चिकित्सीय परीक्षण कराया जाए और अभियुक्त चाहें तो अपने अधिवक्ता को अपने साथ रख सकते हैं, लेकिन अधिवक्ता 100 मीटर दूरी से ही कार्रवाई को देख सकेंगे. पुलिस कस्टडी की अवधि पूरी होने के बाद अतीक अहमद को साबरमती जेल के लिए और अशरफ को बरेली जेल भेजना सुनिश्चित किया जाना था.

ज्ञात हो कि 17 साल पुराने उमेश पाल अपहरण केस में प्रयागराज कोर्ट ने बीते 28 मार्च को अतीक अहमद, दिनेश पासी और खान शौकत हनीफ को दोषी करार दिया था. अदालत ने अहमद के भाई अशरफ समेत सात आरोपियों को सुबूतों के अभाव में बरी कर दिया था. इस मामले में कुल 11 अभियुक्तों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया था. सुनवाई के दौरान उनमें से एक की मौत हो गई थी. माफिया अतीक और दिनेश पासी के खिलाफ 364 अ/34, 120 इ, 147, 323/149, 341, 342, 504, 506 (2) धाराएं लगाई गई हैं, वहीं खान शौकत के खिलाफ 364 और 120 इ धाराएं लगाई हैं.

अतीक अहमद उमेश पाल हत्याकांड सहित 100 से अधिक आपराधिक मामलों में नामजद था. उसे पहली बार किसी मामले में सजा सुनाई गई थी. उमेश पाल 25 जनवरी 2005 को बसपा विधायक राजू पाल की हत्या के मामले का चश्मदीद गवाह था. राजू पाल हत्याकांड मामले में अतीक अहमद आरोपी था. उमेश ने आरोप लगाया था कि जब उसने अहमद के दबाव में पीछे हटने और झुकने से इनकार कर दिया तो 28 फरवरी 2006 को उसका अपहरण कर लिया गया था. अतीक, उसके भाई अशरफ और चार अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ पांच जुलाई 2007 को इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई थी. अदालत में पेश किए गए आरोप पत्र में 11 आरोपियों का जिक्र किया गया था.

उमेश पाल और उनकी सुरक्षा में तैनात दो पुलिसकर्मियों की इसी साल 24 फरवरी को प्रयागराज के धूमनगंज इलाके में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. उमेश की पत्नी जया पाल की तहरीर पर 25 फरवरी को धूमनगंज थाने में अतीक, उसके भाई अशरफ, पत्नी शाइस्ता परवीन, असद सहित दो बेटों, शूटर गुड्डू मुस्लिम एवं गुलाम तथा नौ अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था.

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