नई दिल्ली : आज सोम प्रदोष व्रत है. हर महीने की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत रखा जाता है. शास्त्रों में प्रदोष व्रत को सर्वसुख प्रदान करने वाला व्रत बताया गया है. सोमवार के दिन प्रदोष व्रत पड़ने से इसका महत्व और बढ़ जाता है. इस व्रत के प्रभाव से चन्द्रमा अपना शुभ फल देता है. सोम प्रदोष व्रत करने और भगवान शिव की सच्चे मन से पूजा करने से हर कष्ट से मुक्ति मिलती है. सोम प्रदोष को चन्द्र प्रदोषम भी कहा जाता है. इसे मनोकामनाओं की पूर्ति करने के लिए किया जाता है.
सोम प्रदोष व्रत कठिन माना जाता है. ये व्रत निर्जल रखा जाता है, यानि व्रत के दौरान पानी नहीं पी सकते हैं. सुबह स्नान आदि के बाद भगवान शिव की पूजा करें. प्रदोष व्रत करने के लिए सबसे पहले त्रयोदशी के दिन सूर्योदय से पहले उठ जाएं. स्नान आदि करने के बाद साफ कपड़े पहनें और भगवान शिव को बेलपत्र अर्पित करें, इसके बाद अक्षत, दीप, धूप, गंगाजल आदि से पूजा करें.
सोम प्रदोष व्रत सोमवार यानी रखा जा रहा है. सोम प्रदोष व्रत के शुभ मुहूर्त की शुरुआत 17 अप्रैल यानी आज दिन में 03 बजकर 46 मिनट पर होगी और इसका समापन 18 अप्रैल को दिन में 01 बजकर 27 मिनट पर होगी. उदयातिथि के अनुसार, सोम प्रदोष व्रत 17 अप्रैल यानी आज ही मनाया जाएगा. सोम प्रदोष व्रत का पूजन मुहूर्त शाम 06 बजकर 48 मिनट से रात 09 बजकर 01 मिनट तक रहेगा.
सूर्यास्त के बाद और रात का अंधेरा होने से पहले का समय प्रदोष काल कहलाता है. प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा-पाठ और उपवास को काफी महत्वपूर्ण माना गया है. सच्चे मन से व्रत रखने वाले जातकों को मनचाहे फल की प्राप्ति होती है. कलयुग में प्रदोष व्रत को करना बहुत मंगलकारी माना गया है. भगवान शिव की अराधना करने से जातक के सभी कष्ट ही दूर नहीं होते हैं, बल्कि मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति भी होती है. पुराणों के अनुसार एक प्रदोष व्रत करने का फल दो गायों के दान जितना होता है.
हर प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा होती है. सोमवार का दिन भगवान शिव का दिन माना जाता है. सोमवार के दिन प्रदोष व्रत पड़ने से इसका महत्व (Importance) और बढ़ जाता है. सोम प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त की जा सकती है इससे जीवन में किसी प्रकार का अभाव नहीं रहता है. प्रदोष व्रत करने से धन सबंधी दिक्कतें भी दूर हो जाती हैं. मान्यता है कि सोम प्रदोष व्रत करने से योग्य वर-वधू की प्राप्ति होती है. भगवान शिव की अराधना करने से जातक के सभी कष्ट ही दूर नहीं होते हैं, बल्कि मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति भी होती है.