टेरर फंडिंग मामला: दिल्ली HC में अलगाववादी नेता पर लगे आरोपों पर हुई सुनवाई, पीठ ने NIA से मांगा जवाब

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नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट में बुधवार को अलगाववादी नेता नईम अहमद खान पर लगे टेरर फंडिंग केस के आरोपों को लेकर सुनवाई हुई है। इस दौरान कोर्ट ने एनआईए को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। खान ने निचली अदालत द्वारा उनके खिलाफ लगाए गए कथित टेरर फंडिंग के आरोप और यूएपीए एक्ट को चुनौती दी है। एनआईए ने खान पर कश्मीर घाटी में अशांति फैलाने का आरोप लगाया है और उसे 24 जुलाई 2017 को गिरफ्तार किया गया था। एनआईए की एक विशेष अदालत ने 16 मार्च 2022 को खान के खिलाफ राजद्रोह और यूएपीए सहित आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप तय किए थे, जिसे अपील में खान के द्वारा चुनौती दी गई है।

यह आरोप लगाया गया है कि सुरक्षाबलों पर पथराव, स्कूलों को जलाना, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाना और भारत के खिलाफ युद्ध छेड़कर कश्मीर घाटी में जनजीवन अस्त-व्यस्त करने की एक बड़ी आपराधिक साजिश थी। खान 14 अगस्त 2017 से हिरासत में हैं। उन्होंने दिसंबर 2022 के एक आदेश के खिलाफ अपील भी दायर की थी, जिसमें उन्हें मामले में जमानत देने से इनकार कर दिया गया था। बुधवार को सुनवाई के दौरान जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और तलवंत सिंह की खंडपीठ ने आरोप तय करने के आदेश के खिलाफ खान की अपील पर नोटिस जारी किया है। साथ ही पीठ ने मामले को सुनवाई के लिए 3 अगस्त को सूचीबद्ध की है।

विशेष एनआईए अदालत ने कहा था कि आरोप तय किए जाने के समय सबूतों और कई गवाहों के बयानों की पूरी तरह से जांच की गई थी, और यह पाया गया कि खान की संलिप्तता के बारे में गंभीर संदेह पैदा करने वाले पर्याप्त सबूत उपलब्ध हैं, इसलिए उसे जमानत से वंचित किया गया है।

खान की अपील के अनुसार, सबूत ‘महत्वपूर्ण विसंगतियों, झूठ और लॉजिकल उछाल से प्रभावित हैं, जिस पर उन्हें यूएपीए के तहत हिरासत में रखा नहीं जा सकता है। अपली में आगे यह भी कहा गया है कि अभियोजन पक्ष अपीलकर्ता की कथित संबद्धता या यहां तक कि किसी प्रतिबंधित या आतंकवादी संगठन के साथ किसी भी दूरस्थ संबंध से संबंधित किसी भी आरोप को साबित करने में पूरी तरह से विफल रहा है।

हालांकि, खान की जमानत अपील पर आपत्ति जताते हुए एनआईए ने तर्क दिया है जुटाए गए सबूत उनके खिलाफ एक प्रथम ²ष्टया मामला स्थापित करते हैं और वह आतंकवादी और धन संबंधी गतिविधियों में शामिल था।

एनआईए ने कहा है कि खान के आवास से तलाशी और जब्ती के दौरान कुछ पत्र पाए गए थे, जिसमें दिखाया गया था कि वह पाकिस्तान में एमबीबीएस पाठ्यक्रमों में छात्रों को प्रवेश दिला रहा था। एजेंसी ने आरोप लगाया है कि यह पाकिस्तान में एमबीबीएस पाठ्यक्रमों में छात्रों को प्रवेश दिलाने से अर्जित कमीशन से आतंकवादी फंडिंग में आवेदक की संलिप्तता को दर्शाता है।

लश्कर-ए-तैयबा प्रमुख हाफिज मुहम्मद सईद और हुर्रियत कांफ्रेंस के सदस्यों के साथ कई अलगाववादी नेताओं पर हवाला के माध्यम से धन जुटाने और कश्मीर में हिंसा की साजिश रचने का आरोप लगाते हुए गृह मंत्रालय की शिकायत के आधार पर एनआईए ने प्राथमिकी दर्ज की थी।

एनआईए के अनुसार, राजबाग स्थित कार्यालय का उपयोग विभिन्न विरोध प्रदर्शनों की रणनीति बनाने, सुरक्षाबलों पर पथराव की गतिविधियों के वित्तपोषण और केंद्र सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए गैरकानूनी और आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए युवाओं की भर्ती के लिए किया गया था।

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